राजनीतिक डायरी: समग्र और सर्वांगीण विकास से कोसों दूर है म.प्र.

shivraj2013 के विधानसभा और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जोर शोर से प्रचार किया था कि केन्द्र और राज्यों में एक ही दल की सरकार होगी तो बहुत तेज विकास होगा । राज्य को वित्तीय संसाधन मिलने में भी अड़चन नहीं होगी । अभी केन्द्र में कांग्रेस की सरकार होने से म.प्र. की भाजपा सरकार को वित्तीय संसाधन प्राप्त करने में बहुत कठिनाई हो रही है। लोगों ने भाजपा की बात पर भरोसा कर राज्य की तरह केन्द्र में भी भाजपा की सरकार बनवा दी । पर मध्यप्रदेश को इसका रत्ती भर भी फायदा नहीं मिला । मुख्यमंत्री को एक एक पैसे के लिए केन्द्र के आगे गिड़गिड़ाना पड़ रहा है । कांग्रेस की सरकार के समय मुख्यमंत्री जोर जबरदस्ती से और धमका कर पैसे ले आते थे । पर अब भाजपा की सरकार होने के कारण वे ऊॅंची आवाज में बोल भी नहीं सकते । गिड़गिड़ाने के सिवाय उनके पास कोई रास्ता भी नहीं है ।

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दिनेश जोशी                   
मध्यप्रदेश  में विकास तेज गति से हो रहा है । विकास दर भी बढ़ रही है । कृषि विकास दर तो दुनिया में सबसे ज्यादा है, पर इन सबके बावजूद प्रदेश समग्र, सर्वांगीण और संपूर्ण विकास से कोसों दूर है । शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास, मानव विकास, अजा.जजा और महिलाओं के उत्थान के मामले में बुरी तरह पिछड़ा हुआ है । कमजोर तबकों और महिलाओं पर जुल्म ज्यादती में वह सबसे अव्वल है । योजनाओं का लाभ गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा है । कई इलाके ऐसे हैं जहां लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा है । कुपोषण, भुखमरी और गरीबी के कलंक से अभी भी अभिषप्त है । मातृ मृत्यु दर, शिशु  मृत्यु दर, भ्रूण हत्या और लिंगानुपात में भी वह बहुत पिछड़ा है । बेरोजगारी की समस्या भी दिन ब दिन भयावह होती जा रही है ।

जब तक विकास की रोशनी अंतिम छोर के व्यक्ति तक नहीं पहुंचती, विकास अधूरा है । स्मार्ट सिटी और स्मार्ट विलेज की अवधारण का अवतरण भी विकास की धारा में बिना पक्षपात के सबको समान रूप से समाहित करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हुआ है । केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा शुद्धिकरण  मंत्री उमा भारती के अनुसार ऊॅंची-ऊॅंची इमारतों और चमचमाती सड़कों से समग्र सर्वागीण और संपूर्ण विकास नहीं होता, इसके लिए लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी, सड़क, आवास और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होना चाहिए । इन मूलभूत सुविधाओं के साथ उन्नत तकनीक का लाभ भी लोगों तक समान रूप से पहुंचना चाहिए ।

विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है रोड कांग्रेस

केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना भी सही है कि सड़कें विकास की वाहक होती है। गांवों में विकास की रोशनी सड़कों के मार्फत ही पहुंच सकती है । इस लिहाज से इंदौर में हो रही रोड कांग्रेस प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है । केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस रोड कांग्रेस की अध्यक्षता करते हुए म.प्र. में 80 हजार करोड़ रूपयों से सड़कें, पुल, पुलिया, फ्लाई ओवर, आदि बनाने की बात कही है । केन्द्र के बहुत से मंत्रियों ने मध्यप्रदेश को विकास के ढेरों सपने दिखाये हैं, पर उनमें से आज तक एक भी सपना हकीकत में नहीं बदल पाया। अक्सर मंत्रीगण बढ़चढ़कर घोषणाएं कर भूल जाते हैं । इसी वजह से वे परवान नहीं चढ़ पाती । जनता उम्मीद करती है कि गडकरी जी की घोषणाएं धरातल पर जरूर उतरेंगी । वैसे भी मध्यप्रदेश की ज्यादातर सड़कों की हालत बहुत खराब है । एक किलोमीटर का सफर करने में दो- ढाई घंटे लग जाते हैं । म.प्र. में सड़कें तो बनी लेकिन गुणवत्ता और रख रखाव पर ध्यान नहीं दिया गया । सड़कों के खस्ताहाल होने का एक बड़ा कारण मरम्मत का पैसा समय पर नहीं मिलना भी है ।

दरअसल म.प्र. को केन्द्र से पैसा कभी समय पर मिला ही नहीं । बिहार, पश्चिम बंगाल, कश्मीर, उत्तराखण्ड और उड़ीसा की तरह उसे अतिरिक्त पैकेज मिलना तो दूर केन्द्रीय करों में उसको अपने हिस्से की राशि भी नहीं मिलती । उसमें भी केन्द्र बड़ी बेरहमी से कैंची चला रहा है। प्राकृतिक आपदाओं तक में उसे केन्द्र से एक धेले की मदद नहीं मिली । इनका मुकाबला भी उसे अपने संसाधनों से करना पड़ रहा है । पीडि़तों को राहत मुआवजा देने के लिये उसे अपनी विकास योजनाओं के बजट में 15 प्रतिशत की भारी भरकम कटौती करना पड़ी । 2013 के विधानसभा और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जोर शोर से प्रचार किया था कि केन्द्र और राज्यों में एक ही दल की सरकार होगी तो बहुत तेज विकास होगा । राज्य को वित्तीय संसाधन मिलने में भी अड़चन नहीं होगी । अभी केन्द्र में कांग्रेस की सरकार होने से म.प्र. की भाजपा सरकार को वित्तीय संसाधन प्राप्त करने में बहुत कठिनाई हो रही है । लोगों ने भाजपा की बात पर भरोसा कर राज्य की तरह केन्द्र में भी भाजपा की सरकार बनवा दी । पर मध्यप्रदेश को इसका रत्ती भर भी फायदा नहीं मिला । मुख्यमंत्री को एक एक पैसे के लिए केन्द्र के आगे गिड़गिड़ाना पड़ रहा है । कांग्रेस की सरकार के समय मुख्यमंत्री जोर जबरदस्ती से और धमका कर पैसे ले आते थे । पर अब भाजपा की सरकार होने के कारण वे ऊॅंची आवाज में बोल भी नहीं सकते । गिड़गिड़ाने के सिवाय उनके पास कोई रास्ता भी नहीं है ।

सूखा पीडि़त किसानों को राहत मुआवजे के लिए म.प्र. ने केन्द्र सरकार से 5000 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता मांगी थी, आज तक उसे एक धेला नहीं मिला । अभी अभी राज्य ने केन्द्र से सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य चलाने के लिए 1843 करोड़ रूपये मुहैया कराने की मांग की है । इससे वह मनरेगा के तहत 7500 पंचायतों के 23 हजार गांवों में 150 दिनों तक रोजगार मुहैया कराने के लिए कृषि से जुड़े नये काम जैसे मेढ़, बंधान, तालाब निर्माण, समतलीकरण और खेत सड़कें  बनाना  चाहता है । पर केन्द्र के कानों में जूं रेंगेगी इसकी उम्मीद कम ही नजर आती है । ऐसे में गडकरीजी की 80 हजार करोड़ रूपयों से सड़कों का निर्माण कराने की घोषणा पर ज्यादा भरोसा नहीं होता ।

फुड इंडस्ट्री से भी विकास को लग सकते हैं पंख

मध्यप्रदेश के विकास को फुड इंडस्ट्री भी पंख लगा सकती है । इस प्रदेश में फुड इंडस्ट्री के फलने-फूलने की अपार संभावनाएं है । पिछले कुछ सालों से इस राज्य में खाद्यान्न उद्यानिकी फसलें और दुग्ध का रिकार्ड उत्पादन हो रहा है । इन बढ़े हुए उत्पादनोें का लाभ किसानों और उत्पादकों को तभी मिलेगा जब प्रदेश में जगह जगह खाद्य प्रसंस्करण और फुड इंडस्ट्रियां लगे । म.प्र. फुड टेक-2015 में पशुपालन मंत्री सुश्री कुसुम मेंहदेले ने निवेषकों से फुड इंडस्ट्रियां लगाने की अपील की है । यदि वे फुड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करते हैं तो राज्य सरकार उन्हें वे सब सुविधाएं उपलब्ध करायेगी जो उन्हें अन्य राज्यों में मिलती है । नाबार्ड भोपाल के मुख्य महाप्रबंधक के अनुसार भारत सरकार ने खाद्य व्यवसाय को प्रोत्साहित और विस्तारित करने के लिए 5225 करोड़ रूपये प्रस्तावित किये हैं । इसके अलावा मेगा फुड पार्क की स्थापना के लिए भारत सरकार ने नाबार्ड को 2000 करोड़ रूपये अलग से दिये हैं । केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के उप सचिव एस.के.वर्मा के मत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मेक इन इंडिया में भी अहम रोल अदा कर सकते हैं । उन्होनें म.प्र. में प्रस्तावित चार मेगा फुड पार्क में से दो के शुरू हो जाने की जानकारी देकर विकास की  संभावनाओं को और बढ़ा दिया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी निवेषकों के समक्ष म.प्र. में फुड एण्ड एग्रीकल्चर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने का प्रस्ताव किया है । पिछले माह जापान और अन्य देशों की यात्रा से लौटने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि की सूरत और सीरत बदलने का ऐलान किया था । उन्होनें इसके लिए प्रदेश में कृषि आधारित उद्योगों का जाल बिछाने का इरादा भी जाहिर किया था । फुड इंडस्ट्री इस दिशा में बहुत ही कारगर भूमिका अदा कर सकती है । बस प्रोत्साहित करने  की जरूरत है ।

कौशल उन्नयन से ही होगा बेरोजगारी का खात्मा

म.प्र. देश का अग्रणी राज्य तभी बन सकता है जब यहां के युवाओं को रोजगार मिले । उन्हें काम की तलाश में इधर-उधर भटकना न पड़े । कौशल उन्नयन ऐसी कुंजी है जो बेरोजगारी की समस्या से प्रदेश को मुक्ति दिला सकती है । जब प्रदेश के युवा शिक्षित होने के साथ साथ हुनरमंद और तकनीकी रूप से दक्ष होंगे तो नियोक्ता उनके आगे पीछे घूमेंगे । इसी मकसद से राज्य सरकार ने प्रदेश में कौशल विकास केन्द्र स्थापित किये हैं । आई.टी.आई संस्था इसमें महत्वपूर्ण योगदान कर सकती है । केन्द्रीय कौशल उन्नयन राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी ने हाल के भोपाल प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मुलाकात में कहा था कि 12 साल की शिक्षा नहीं अपितु 12 हफ्ते की ट्रेनिंग युवाओं को रोजगार दिला सकती है । उन्होनें कौशल उन्नयन के लिए प्रदेश में अल्प अवधि के ट्रेनिंग कोर्स प्रारंभ करने तथा आईटीआई को मजबूती देने पर जोर दिया  । आईटीआई की संख्या बढ़ाने, उनमें कंपनियों की जरूरत के अनुसार अल्प अवधि के ट्रेनिंग कोर्स शुरू करने तथा बंद पड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों को कौशल उन्नयन प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करने की जरूरत बताई । श्री रूढ़ी ने भोपाल की गोविन्दपुरा स्थित मॉडल आईटीआई का भी निरीक्षण किया । उन्होनें वहां लगी पुरानी और आऊट डेटेड हो चुकी मशीनों पर नाराजी जाहिर की और अफसरों से पूछा कि ये मशीने  युवाओं को कैसे रोजगार दिला पायेंगी ? उन्होनें पुरानी मशीनों के स्थान पर लेटेस्ट टेक्नालॉजी वाली अधुनातन मशीनें लगाने की जरूरत बताई । श्री रूढ़ी ने नये आईटीआई खोलने के लिए 3 करोड़ 60 लाख रूपये स्वीकृत करने की भी जानकारी दी ।

अन्ततः

करोड़ों रूपयों के बहुचर्चित व्यापमं महाघोटाले में बंद आरोपी एक-एक कर जमानत पर रिहा हो रहे हैं । शनिवार को प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के पूर्व ओएसडी धनराज यादव जेल से छूटे तो दूसरे दिन रविवार को 18 माह से बंद प्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को रिहा कर दिया गया । रिहाई पर उनके समर्थकों ने गर्मजोशी से ढोल, नगाड़े और आतिशबाजी के साथ जंग फतह कर लौटने वाले हीरो की तरह स्वागत किया । इन्हें एसटीएफ ने जेल में बंद किया था । सीबीआई के हाथ में मामला आते ही कोर्ट से जमानत मिलना और जेल से रिहाई का सिलसिला शुरू हो गया । यह सब देखकर लोग हैरत में है कि यह क्या हो रहा है ? रिहा हुये आरोपियों को न्याय मिलने का पूरा यकीन है पर जनता को न्याय मिलेगा या नहीं इस पर सब खामोश हैं।


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