राजनीतिक डायरी: म.प्र. की विकास गाथा को कलंकित करते अपराध

DINESH-JOSHI1राजनीतिक डायरी दिनेश जोशी       मध्यप्रदेश में महिलाओं से संबंधित अपराधों की अचानक बाढ़ आ गई है । पिछले एक हफ्ते में अपहरण, बलात्कार, हत्या और आत्महत्या की 21 से ज्यादा सनसनीखेज वारदातें हुई हैं । इन वारदातों ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है । वैसे भी बलात्कार, मानव तस्करी और कमजोर तबकों पर अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश देश में अव्वल है । कभी बिहार और उ.प्र. शीर्ष पर हुआ करते थे । बढ़ते अपराध प्रदेश के तेज गति से विकास की गाथा को कलंकित कर रहे हैं । साथ ही यह सवाल पूछा जाने लगा  है कि क्या मध्यप्रदेश में महिलायें सुरक्षित नहीं है ? पिछले दिनों विधानसभा में गृह विभाग से संबंधित बजट मांगों पर चर्चा के दौरान पक्ष-विपक्ष के सदस्यों ने एक स्वर से प्रदेश की पुलिसिंग की सराहना की थी । गृहमंत्री ने अपने जवाब में भी कानून व्यवस्था पिछले वर्षों के मुकाबले बहुत बेहतर होने का दावा किया था । पर अपराधों के बढ़ते ग्राफ ने गृहमंत्री के दावे और पक्ष-विपक्ष द्वारा पुलिस की सराहना पर पानी फेर दिया है । कोई ऐसा दिन नहीं जा रहा है जब समाचार पत्रों की सुर्खियां महिला संबंधी अपराधों से अछूती रही हो। रोजाना एक से बढ़कर एक सनसनीखेज और वीभत्स वारदातें पढ़ने को मिल रही हैं । 20 मार्च से 27 मार्च के बीच की घटनाओं पर नजर डालें तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं । कुछ वारदातों की बानगी देखें- औबेदुल्लागंज में नगर पंचायत के सीएमओ की पत्नी और बेटी की घर में घुसकर निर्शन्स हत्या, इंदौर में आईबी के सेवानिवृत्त डीआईजी की पोती द्वारा गोली मारकर ख़ुदकुशी, पर इस कहानी में भी पेंच आ रहा है । गोली चलाने की आवाज किसी ने नहीं सुनी । मृतका विधि की छात्रा थी । इंदौर की ही बबीता द्वारा जहर पीने की दुःखदायी घटना, सिंगरौली में एक शिक्षक द्वारा 5 वर्षीय बालिका  के साथ दरिंदगी । 25 मार्च को भोपाल के अवधपुरी थाना के खजूरी कला गांव की 10 वर्षीय बालिका को 36 वर्षीय प्रमोद ने अपने वहशीपन का शिकार बना डाला । रीवा के कवरधा गांव में 30 वर्षीय तुलसीदास साकेत ने 3 वर्षीय अबोध बालिका का अपहरण कर उसे अपनी हवस का शिकार बनाया । छतरपुर के हीरापुर गांव की अवयस्क दलित लड़की की इज्जत को राजा बुंदेला और उसके दोस्त शराफत ने तार तार कर दिया । भोपाल की 16 वर्षीय छात्रा की संदिग्ध मौत हो गई । शहडोल में 47 वर्षीय अधेड़ की हत्या कर दी गई । सागर में बलात्कार का प्रतिकार करने वाली आदिवासी महिला को दुष्कर्मियों ने जलाकर मार डाला । भोपाल और जबलपुर में भी दुष्कृत्य का विरोध करने वाली महिला को पीट पीट कर मार डाला । सतना में एक किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कृत्य हुआ । टीकमगढ़ में रेत माफिया द्वारा वनरक्षक को टेक्टर से कुचल डालने का प्रयास हुआ । पन्ना जिले के सेमरिया में 19 वर्षीय छात्रा की लाश फांसी के फंदे पर झूलती मिली । ग्वालियर के डबरा अनुभाग के दो दिन से लापता बच्चों अमन झा और शिवांग पचौरी की लाश नाले में पड़ी मिली । मंडला में दसवीं की परीक्षा देकर घर लौट रही छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार । ग्वालियर के तानसेन नगर में भी एक लड़की की लाश फांसी पर झूलती मिली । दमोह में एक लड़की की लाश कुयें से बरामद हुई । भोपाल के पास कोलुआ गांव में 30 वर्षीय विक्रम की लाश नाले में मिली, वह तीन दिनों से लापता था । दसवीं की परीक्षा देने गई भोपाल की छात्रा लापता हो गई है । इसी शहर के निकटवर्ती ग्रामीण इलाके में एक महिला को मनमर्जी नहीं करने देने पर जिंदा जला दिया गया । ऐसी अनेकों वारदातों से अखबारों के पन्ने भरे पड़े हैं । पता नहीं पुलिस वाले उन्हें पढ़ते भी है या नहीं । यदि पढ़ा होगा तो निष्चित ही उनका सिर शर्म से झुका होगा। उनके मन में  स्वयं के होने पर सवाल जरूर खड़े हुये होंगे ? जब प्रदेश में इतनी वारदातें हो रही है तो पुलिस की सार्थकता क्या रही ? राष्ट्रीय क्राइम ब्रांच के आंकड़े भी प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हैं ? 1 फरवरी 2015 से 31 जनवरी 2016 तक प्रदेश में 4744 महिलाओं के साथ दुष्कृत्य हुआ । इनमें से आधी महिलाएं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की है । हैवानियत का शिकार इन महिलाओं में 2552 अबोध बच्चियां है । भारत की कुल बलात्कार की घटनाओं में से 14 प्रतिशत अकेले म.प्र. में रिकार्ड हुई है । वर्ष 2014 के आंकड़ें देखें तो तो प्रदेश में 5076 बलात्कार के मामले दर्ज हुये । याने हर दिन 14 बलात्कार हुये । पूरे देश में इस अवधि में 24206 बलात्कार हुये । इस तरह बलात्कार के मामले में म.प्र. देश में नंबर एक है । महिला उत्पीड़न के 19614 प्रकरण दर्ज हुये । यही नहीं लज्जा भंग करने और ष्डोमेस्टिक वायलेंस के प्रदेश में 20020 प्रकरण दर्ज किये गये । शर्म की बात तो यह है कि दरिंदों ने नाबालिकों को भी नहीं छोड़ा । देश में सबसे ज्यादा अपराध म.प्र. में हुये । कुल 4646 बच्चियों के साथ वारदातें हुई । भारत में कुल 28 लाख 51 हजार 563 अपराध दर्ज हुये । जिसमें से अकेले मध्यप्रदेश में 2 लाख 72 हजार 423 अपराध है । मानव तस्करी के मामले में भी म.प्र. देश में अव्वल है । केन्द्र सरकार की ताजी रिपोर्ट आई है, जिसमें तस्करों से लड़कियों को खरीदकर उन्हें घरों में बंधक बनाकर उनका दैहिक शोषण करने का खौफनाक मंजर दिखाया गया है । प्रदेश के ह्यूमन टेफिकिंग सेल ने 326 नाबालिकों को छुड़ाने का दावा किया है । महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध प्रदेश के तेज गति से विकास की गाथा को कलंकित कर रहे हैं । कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने विधानसभा में सरकार से बिल्कुल सही सवाल पूछा है कि ऐसे विकास का क्या अर्थ है जो मानवीय गरिमा के पतन में जन्म लेता है ? सरकार को घेरेगी कांग्रेस प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेस ने सदन और सड़क पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है । होली-रंगपंचमी के अवकाश के पश्चात विधानसभा का बजट सत्र 29 मार्च से पुनः शुरू हो रहा है । यह 1 अप्रैल तक चलेगा । 29 मार्च को संभवतः घोड़ाडोंगरी के विधायक सज्जन सिंह उइके को शोक श्रध्दांजलि अर्पित करने के बाद कार्यवाही स्थगित कर दी जायेगी । इस तरह सरकार को सदन में घेरने के लिए कांग्रेस के पास सिर्फ 3 दिन ही बचेंगे । इसमें वह सरकार की पेशानी पर बल ला पाती है अथवा नहीं, यह देखने की बात होगी ? वैसे बजट चर्चा में कांग्रेस के विधायक पुलिस की भूरि-भूरि प्रशंसा कर चुके हैं । ऐसे में उनकी भूमिका देखने लायक होगी ! पर चूंकि प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव का फरमान है, इसलिए कांग्रेस के विधायकों को कुछ न कुछ तो करना ही होगा । अभी अरूण यादव ने सड़क के आंदोलन की रूपरेखा नहीं बनाई है, पर महिला कांग्रेस उनसे एक कदम आगे निकल गई है । महिला कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह 18 अप्रैल को भोपाल में प्रदेश व्यापी आंदोलन कर सीएम हाऊस को घेरेंगी। कांग्रेस की महिलाएं मुख्यमंत्री को प्रदेश भर से एकत्रित 1 लाख चूडियां भी भेंट करेंगी । सरकार तो बजट सत्र को गत 18 मार्च को समाप्त करना चाहती थी, पर कांग्रेस के अडि़यल रवैये के कारण वह सत्र को समाप्त नहीं कर पाई । वैसे सरकार के पास कोई खास कामकाज नहीं है । वह सदन को किसानों को राहत मुआवजे के बांटने का हिसाब बता सकती है । वित्त मंत्री जयंत मलैया मंत्रियों और विधायकों के वेतन भत्तों में बढ़ोत्तरी संबंधी बिल सदन में पेश कर सकते हैं । हालांकि प्रदेश की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति उन्हें ऐसा करने की इजाजत नही दे रही है । अन्ततः कहावत है कि पानी सिर पर चढ़े उससे पहले समस्या का समाधान कर देना चाहिए । समस्या को लटकाये रखने में समझदारी नहीं है । एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोत्तरी के विरोध में मध्यप्रदेश सहित देश भर के सराफा व्यवसायी लंबे समय से हड़ताल पर हैं । वे केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली, म.प्र. के वित्त मंत्री जयंत मलैया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को अपने दुकानों की चाबियां सौंपने की पेशकश कर चुके हैं । अब वे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चाबियां सौंपने के प्रयास में है । उनके आंदोलन से हजारों करोड़ का नुकसान हो चुका है । बैंकों को नगदुल्लों की कमी से जूझना पड़ रहा है ।  सराफा व्यापारी केन्द्र और राज्य सरकारों के साथ साथ सत्तारूढ़ भाजपा से काफी खफा हैं । उन्होनें भाजपा को तिलांजलि देने का मन बना लिया है । इसकी शुरुआत रतलाम से कर दी है । खबर आई है कि रतलाम के दो हजार सराफा व्यावसायियों ने भाजपा को अलविदा कह दिया है । यह बीमारी और ज्यादा फैले उसके पहले इलाज करना जरूरी है । वरना फिर पछताये होत का जब चिडि़यां चुग जाये खेत !

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