अपना एमपी गज्जब है..97 लीजिए शुरू हो गई तीन.. पांच.. अरुण दीक्षित

आज सबेरे अखबार पढ़ते हुए एक खबर देखी!खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को मंदसौर में  लोगों से अपने लिए पांचवां कार्यकाल मांगा!इस खबर को देखते ही याद आया कि अभी पिछले सप्ताह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  देश की जनता से अपने लिए तीसरा कार्यकाल मांगा था।फिर अचानक अपने उखरा की "तीन.. पांच" वाली कहावत याद आ गई।
 कहावत पर बात करने से पहले "तीन-पांच" का संदर्भ जान लेते हैं।इन दिनों नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह दोनों ही चुनावी तैयारी में जुटे हैं।राज्य में चुनाव तीन महीने  और देश में चुनाव 7 महीने बाद होने हैं।चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए दोनों ही पूरी ताकत से मैदान में कूद गए हैं।लोकसभा चुनाव जीतने के लिए मोदी इतने उतावले हैं कि उन्होंने कमजोर दिख रहे मध्यप्रदेश में अमित शाह के नेतृत्व में अपनी पूरी टीम उतार दी है।साथ में खुद भी नजर गड़ाए हुए हैं।
 इधर शिवराज भी पिछले एक साल से चुनावी मोड में हैं।2018 की तरह कहीं फिर से हार न हो जाए इसलिए उन्होंने सरकारी खजाने का मुंह खोल रखा है।कर्ज लेकर रोज नई घोषणाएं कर रहे हैं।मोदी की ही तर्ज पर अपना प्रचार अभियान चला रहे हैं!अखबार सरकार की उपलब्धि वाले विज्ञापनों से  भरे रहते हैं।मीडिया को साधने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति अपनाई जा रही है।आपातकाल का अनुसरण करते हुए मीडिया को तांगे का घोड़ा बनाने की  पूरी व्यवस्था "टीम शिवराज" ने कर ली है।
  आपको यह तो याद ही होगा कि 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी चुनाव हार गई थी।लेकिन मोदी ने राज्य की 29 में से 28 लोकसभा सीटें जीत ली थीं।बाद में करीब सवा साल बाद,लोकसभा चुनाव हारे ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से बगावत के चलते हारे हुए शिवराज को फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई ।अब शिवराज किसी भी कीमत पर 2018 दोहराना नही चाहते हैं।
 शिवराज की तमाम तैयारियों के बीच नरेंद्र मोदी भी उनकी मदद को एमपी के अखाड़े में आ कूदे हैं।पिछले कई महीनों से वे और उनकी टीम एमपी में सक्रिय है।शिवराज की सरकार भी उनकी सेवा में लगी है।हर सरकारी विज्ञापन में मोदी की शिवराज से बड़ी तस्वीर छापी जा रही है।एक विज्ञापन में मोदी की तस्वीर  नहीं थी तो उसे दूसरे दिन फिर से छपवाया गया।मतलब मोदी आगे शिवराज पीछे!शिवराज इस पर आपत्ति भी नही कर सकते हैं।
 यह भी सच है राज्य में जमीनी सर्वे की रिपोर्ट्स ने दिल्ली की नजर में उनका रूतबा घटा दिया है।इसी वजह से दिल्ली से साफ संकेत आए कि 2023 के विधानसभा चुनाव का चेहरा शिवराज सिंह चौहान नही होंगे।वे सीएम तो रहेंगे लेकिन उन्हें अगला सीएम घोषित नही किया जायेगा।
 इसका पहला संकेत खुद प्रधानमंत्री ने 27 जून को भोपाल में दिया।देश भर के बूथ विस्तारकों को संबोधित करने आए मोदी ने कार्यक्रम का दिया जलाते समय ही सबको अहसास करा दिया कि अब सिर्फ मोदी और मोदी ही सब कुछ हैं।
उसके बाद उनके "नंबर टू" ने इस बात को और ज्यादा साफ किया।हालांकि नंबर टू काफी समय से प्रदेश में मोदी का चेहरा देख कर बीजेपी को वोट देने की अपील करते आ रहे हैं।लेकिन गत 30 जुलाई को इंदौर में उन्होंने इसे पूरी तरह साफ कर दिया।
 इंदौर में भी बात बूथ विस्तारकों के सामने ही हुई।लेकिन देखा और सुना पूरी दुनियां ने।उन्होंने एमपी में सामूहिक नेतृत्व की बात करते हुए कहा  - एमपी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार और देश में मोदी जी की सरकार बनानी है।इस बात का  मतलब साफ था।मजे की बात यह है कि उन्होंने इस संदर्भ में देश में बीजेपी के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुके शिवराज सिंह का नाम भी नही लिया।
 वे तो कह कर दिल्ली चले गए।लेकिन पार्टी के भीतर शिवराज के "मित्रों" को मौका दे गए!यह तो साफ है कि बीजेपी में मोदी को किसी से कोई चुनौती नही है।यह भी कह सकते हैं कि पिछले साढ़े नौ साल में उन्होंने किसी को इस लायक छोड़ा ही नही है।
 पिछले सप्ताह जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी पर अपने लिए तीसरा कार्यकाल मांगा तो किसी को भी कोई आश्चर्य नही हुआ।सब जानते हैं कि बीजेपी में एक से सौ तक मोदी ही हैं।बाकी सब वही हैं जो उनके "कृपापात्र" हैं।
  ऐसे में शिवराज ने 2 अगस्त 2023 को एक नई लाइन खींच दी।फिलहाल सरकारी खर्च पर चुनाव प्रचार कर रहे शिवराज बुधवार को मंदसौर में थे।मोदी की तीसरी पारी की मांग पर उन्होंने अपने लिए पांचवीं पारी मांग ली।उन्होंने वहां लोगों के बीच अपनी इच्छा का प्रकटीकरण किया। लोगों से कहा कि  हाथ उठाकर बताओ कि मुझे पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनाओगे!उनके समर्थन में कितने हाथ उठे,इसका आंकड़ा तो मिल नही पाया है।लेकिन उनके इस सवाल पर भोपाल से दिल्ली तक आंखे जरूर उठ रही हैं।पार्टी के भीतर यह सवाल उठ रहा है कि क्या शिवराज अपनी अलग लाइन खींच रहे हैं।
 उनके विरोधियों की तो नींद ही उड़ गई है!क्योंकि जब 2020 में कांग्रेस की सरकार गिराई गई थी तब कई चेहरे मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार थे।पर जब हारे हुए शिवराज को ही फिर ताज मिल गया तो उनके मुंह से निकला  - नाच कूद बंदरिया मर गई और माल  ले गया मदारी!
 लेकिन इस सबसे अलग एक सवाल अवश्य उठा है!क्या अपने लिए पांचवा कार्यकाल मांग कर शिवराज ने मोदी को चुनौती दी है।कहा यह भी जा रहा है कि संघ की "कृपा" शिवराज पर बरस रही है।इसलिए उन्होंने अपने लिए पांचवां कार्यकाल जनता से हाथ उठवा कर मांगा है।अब जो भी हो इतना तो साफ है कि अब मोदी और शिवराज में "तीन - पांच" शुरू हो गई है।देखना है कि यह क्या रंग लाती है! गौर करने लायक  बात यह भी है कि मंदसौर में जनता के हाथ उठवाने के बाद उन्होंने इंदौर में संघ के प्रमुख नेताओं से खास मुलाकात भी की!इसकी भी चर्चा है।
 पर हो कुछ भी अपना एमपी है तो गज्जब!मोदी की तिक्की पर शिवराज ने अपनी पंजी फेंक दी है।
(हमारे उखरा में तीन पांच का मतलब एक बात पर दूसरी बात चढ़ाना माना जाता है।सीधे सीधे इसे विरोध भी कहा जा सकता है)!


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