एफएम रेडियो से समाचार प्रसारित क्यों नहीं ?

भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में पिछले दो दशकों से अधिक समय से एक के बाद एक सरकारों ने एफएम रेडियो से समाचार का प्रसारण रोक रखा है। अब नीति निर्धारकों को अवश्य साहस जुटाना चाहिए और दुनिया के अन्य देशों की तरह ही निजी एफएम रेडियो से समाचार प्रसारण की अनुमति देनी चाहिए।

वर्तमान में एफएम रेडियो स्टेशनों को बिना किसी बदलाव के केवल आकाशवाणी से प्रसारित समाचार ही सुनाने की अनुमति है। उन्हें स्थानीय विषयों जैसे यातायात, उपयोगी सेवाओं एवं परीक्षा से जुड़ी जानकारियां आदि को छोड़कर अन्य समाचार प्रसारित करने की अनुमति नहीं है।ऐसे अवसर भी आए हैं जब रेडियो स्टेशनों ने अपनी सीमा से बाहर जाकर अप्रत्यक्ष रूप से समाचार प्रसारित किए हैं। मगर समाचार बुलेटिन प्रसारित करने की अनुमति मिलने के बाद ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण ने निजी एफएम रेडियो पर समाचार बुलेटिन प्रसारित करने की अनुमति दिए जाने का सुझाव दिया है। यह एक भविष्योन्मुखी कदम है, जो लोगों के हित में होगा।

देश में इस समय 388 निजी एफएम रेडियो चैनल ग्रामीण एवं सुदूर क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं। यदि इन पर समाचार बुलेटिन प्रसारित करने की अनुमति दी जाए तो इससे संचार का एक सशक्त माध्यम स्थापित करने में सहायता मिलेगी। इसका एक और लाभ यह होगा कि विभिन्न समुदायों के साथ स्थानीय भाषाओं में मजबूत संपर्क स्थापित होगा।

नियमित समाचार बुलेटिन में सम-सामयिक घटनाओं एवं विभिन्न प्रकार की जानकारियां तो लोगों तक पहुंचेंगी ही, इसके साथ ही इंटरनेट, फोन और सैटेलाइट टेलीविजन के संचालन एवं प्रसारण में अवरोध उत्पन्न होने की स्थिति में एफएम रेडियो से समाचारों का प्रसारण आपदा प्रबंधन में उपयोगी माध्यम सिद्ध होगा।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ट्राई की यह सिफारिश स्वीकार कर सकता है और एफएम रेडियो स्टेशनों के माध्यम से समाचार एवं सामयिक घटनाओं के प्रसारण की अनुमति दे सकता है। इससे निजी टेलीविजन और रेडियो के बीच अंतर और रेडियो पर समाचार प्रसारण में सरकार नियंत्रित आकाशवाणी का आधिपत्य समाप्त हो जाएगा।

निजी एफएम स्टेशनों से समाचार प्रसारण देश में मीडिया के स्वरूप को बहुलतावादी बना देगा, परंतु यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी को इसकी अनुमति नहीं दी जाए। समाचार एवं सामयिक घटनाएं यदि तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत की जाएं तो ये समाज में असहिष्णुता एवं आक्रोश को जन्म दे सकती हैं। विशेषकर, चुनाव से पहले यह और घातक हो सकती हैं। ऐसे में एक सक्षम नियामकीय ढांचा स्थापित किया जाना चाहिए।

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण ने टेलीविजन एवं डिजिटल मंचों की तरह ही एक अनुपालन संहिता का सुझाव दिया है। इस संहिता का उद्देश्य आचार मानकों का अनुपालन, समाचार प्रस्तुतीकरण में खरापन और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है और ऐसी सामग्री से परहेज करना है जो हिंसा, वैमनस्य या दुष्प्रचार को बढ़ावा दे सकती हैं। नियामक ने यह भी सुझाव दिया है कि शुरुआत में प्रत्येक एक घंटे में 10 मिनट समाचार प्रसारित करने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि रेडियो सेवा की मूल संकल्पना में बड़ा बदलाव नहीं आए।

कई वर्षों पहले जब यह प्रस्ताव विचार के लिए आया था तो उस समय इंटरनेट शुरू ही होने वाला था, जबकि सैटेलाइट टेलीविजन पर कुछ ही चैनल उपलब्ध थे और स्ट्रीमिंग सेवाएं तो थी ही नहीं। हालांकि, बाद के वर्षों में चीजें काफी बदल गई हैं। भारत में इस समय 75.9 करोड़ से अधिक सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। परिभाषा के अनुसार ये लोग महीने में कम से कम एक दिन अवश्य इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

वर्ष 2025 तक यह संख्या बढ़कर 90 करोड़ हो जाने का अनुमान है। अभी 39.9 करोड़ ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं। इंटरनेट की पहुंच की तुलना में 2019 में रेडियो के कुल 22.6 करोड़ श्रोता थे। वर्ष 2022 में इनकी संख्या लगभग 26.2 करोड़ थी। एफएम रेडियो पर समाचार प्रसारण की अनुमति मिलने के बाद इंटरनेट पर समाचार सुनने का चलन बढ़ सकता है। ऐसे में किसी प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाना बेतुका हो जाता है।


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