ग्वालियर। फूलबाग स्थित गांधी प्राणी उद्यान में लोग बड़ी संख्या में वन्य प्राणियों को देखने के लिए पहुंचते हैं। वन्य प्राणियों को नजदीक से देखकर लोग रोमांचित होते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि वे चाहें तो वन्य प्राणियों को गोद भी ले सकते हैं। वर्तमान में शहर के सिर्फ तीन पशु प्रेमियों ने छह प्रजातियों के 13 वन्य प्राणियों को गोद ले रखा है। वे इन वन्य प्राणियों पर सालभर में होने वाला खर्चा उठाते हैं।
यदि शहर के अन्य पशु प्रेमी चाहें, तो वे भी सालाना न्यूनतम 1800 रुपये खर्च कर लाल मुनिया या फाख्ता जैसे पक्षियों और अधिकतम 3.60 लाख रुपये खर्च कर टाइगर व लायन तक को गोद ले सकते हैं। हिप्पो को गोद लेने का खर्चा 2.70 लाख रुपये सालाना है।
वर्तमान में गांधी प्राणी उद्यान में 550 के आसपास वन्य प्राणी हैं। इनमें पक्षियों से लेकर शिकारी चौपाए जीव और सरीसृप से लेकर उभयचर तक शामिल हैं। गांधी प्राणी उद्यान में मौजूद इन वन्य प्राणियों को गोद देने के लिए कुछ वर्ष पूर्व प्रविधान किया गया था। इसके अंतर्गत एक टैरिफ तैयार किया गया है, जिसमें वन्य प्राणियों पर एक दिन, एक महीने और एक साल के अंदर होने वाले खर्च का ब्यौरा है। ये खर्च सिर्फ वन्य प्राणी के आहार से संबंधित है। जो पशु प्रेमी किसी वन्य प्राणी का सालाना खर्चा उठाता है, उसके नाम का बोर्ड उक्त जीव के केज के बाहर लगाने के साथ ही उक्त पशु प्रेमी व उसके परिवार को गांधी प्राणी उद्यान में निश्शुल्क प्रवेश दिया जाता है।
वर्तमान में शहर की वन्य प्राणी प्रेमी डा. मनु दीक्षित ने दो कछुए गोद ले रखे हैं। इसी प्रकार प्रदीप हांडा ने दो तोते, एक सेही, एक हिरण और सात फाख्ता भी गोद लिए हैं। पोपली परिवार ने एक मोर को गोद ले रखा है। वे इन वन्य प्राणियों की सालभर की खुराक का खर्चा उठाते हैं।
(नोट: गांधी प्राणी उद्यान में 58 प्रजातियों के वन्य प्राणियों को गोद लिया जा सकता है।)