ASI Survey of Bhojshala: धार की भोजशाला में 'अकल कुई' की हुई नापी, परिसर के भीतर खोदाई शुरू

भोजशाला के पिछले भाग में खोदाई के दौरान जो दीवार और सीढ़ीनुमा आकृति मिली थी, रविवार को वहां से भी मिट्टी हटाने का काम किया जा रहा है।

By Prashant Pandey    Edited By: Prashant Pandey   Publish Date: Sun, 07 Apr 2024 08:23 PM (IST)   Updated Date: Sun, 07 Apr 2024 08:30 PM (IST)

HighLights

  1. 14 में से अब सात स्थानों पर वैज्ञानिक तरीके से खोदाई शुरू है।
  2. जो अवशेष मिल रहे हैं, उन्हें भी सुरक्षित करने का काम किया गया।
  3. वाराणसी में ज्ञानवापी की तरह यह कुई भी एक महत्वपूर्ण व प्राचीन स्थान है।

ASI Survey of Bhojshala: नईदुनिया प्रतिनिधि, धार। ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वे के 17वें दिन रविवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की टीम ने कमाल मौलाना की दरगाह के पास स्थित अकल कुई (कुएं) की नापी की। इसके 50 मीटर के दायरे में टीम ने कई जानकारियां संकलित कीं। उधर, भोजशाला के भीतरी भाग में चिह्नित स्थानों पर खोदाई का कार्य शुरू किया गया।

इस प्रकार कुल 14 में से अब सात स्थानों पर वैज्ञानिक तरीके से खोदाई शुरू है। भोजशाला के मध्य स्थित यज्ञशाला के हवन कुंड के आसपास मिट्टी हटाने से जो अवशेष मिल रहे हैं, उन्हें भी सुरक्षित करने का काम किया गया। टीम में अब सर्वेयरों की संख्या 22 है, जबकि श्रमिकों की संख्या 22 से बढ़कर 32 हो चुकी है। भोजशाला के पिछले भाग में खोदाई के दौरान जो दीवार और सीढ़ीनुमा आकृति मिली थी, रविवार को वहां से भी मिट्टी हटाने का काम किया जा रहा है।

वहां खोदाई के लिए सुरक्षित युक्ति भी निकाली जा रही है। हिंदू संगठन के आशीष गोयल एवं गोपाल शर्मा ने बताया कि एक दिन पहले शनिवार को टीम धार के किले में भी गई थी। अब तक सर्वे का कार्य जिस गति से चल रहा था, उसमें रविवार को तेजी आई है।

बता दें कि हिंदुओं के मुताबिक भोजशाला सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी और अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे।

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क्या है अकल कुई

गोपाल शर्मा ने बताया कि वाराणसी में ज्ञानवापी की तरह यह कुई (कूप) भी एक महत्वपूर्ण व प्राचीन स्थान है। वर्षों पुरानी मान्यता के अनुसार इसका पानी पीने से व्यक्ति की बुद्धि कुशाग्र होती है, इसलिए इसे अकल कुई कहा जाता है। आस्थावान लोग यहां से पानी लेकर भी जाते हैं।


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