Iran-Israel Conflict: हमास से जंग के बीच इस्राइल की ईरान से क्यों ठनी, क्या एक और युद्ध की ओर बढ़ रही दुनिया?

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवेंद्र तिवारी Updated Sat, 13 Apr 2024 05:20 PM IST

Iran vs Israel: Iran vs Israel: इस्राइल-ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। भारत समेत कई देशों ने अपने नागरिकों को इन दोनों देशों में जाने से बचने के लिए कहा है। 1 अप्रैल को सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले के बाद से यह तनाव बढ़ रहा है। क्या दुनिया में युद्ध का एक और मोर्चा खुल सकता है? इस विश्लेषण से समझें... 

Iran vs Israel: Iran vs Israel: इस्राइल-ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। भारत समेत कई देशों ने अपने नागरिकों को इन दोनों देशों में जाने से बचने के लिए कहा है। 1 अप्रैल को सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले के बाद से यह तनाव बढ़ रहा है। क्या दुनिया में युद्ध का एक और मोर्चा खुल सकता है? इस विश्लेषण से समझें... 

What is the tension between Israel and Iran and reason of escalating situation

इस्राइल VS ईरान - फोटो : AMAR UJALA
 
 
दुनिया के कई देश युद्ध में घिरे हुए हैं। जहां रूस-यूक्रेन जंग को दो साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, वहीं हमास और इस्राइल बीते छह महीने से लड़ाई लड़ रहे हैं। अब ईरान और इस्राइल के बीच संकट उत्पन्न होने की आशकाएं बढ़ गई हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस्राइल पर ईरान हमला कर सकता है। हमले की आशंका के बीच भारत, फ्रांस, पोलैंड और रूस सहित देशों ने अपने नागरिकों को इस क्षेत्र की यात्रा न करने की सलाह दी है। उधर अमेरिका ने कहा है कि ईरान से खतरा वास्तविक और व्यावहारिक

आइये जानते हैं कि ईरान-इस्राइल के बीच हमले की क्या रिपोर्ट है? आखिर यह आशंका क्यों जताई जा रही है? हमले की चेतावनी पर इस्राइल ने क्या कहा है? युद्ध का खतरा कितना बड़ा है?
ईरान-इस्राइल के बीच हमले की रिपोर्ट क्या है?
दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि ईरान आने वाले दिनों में इस्राइल के अंदर सैन्य और सरकार से जुड़े ठिकानों पर हमले का आदेश दे सकता है। यह चेतवानी अमेरिकी खुफिया आंकलन के बाद जारी की गई है।

अमेरिकी खुफिया आंकलन के हवाले से आई ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट कहती है कि ईरान इस्राइल के अंदर बैलिस्टिक मिसाइलों या ड्रोन का इस्तेमाल करके हमले शुरू कर सकता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान सीधे कार्रवाई करेगा या अपने प्रॉक्सी नेटवर्क का इस्तेमाल करेगा।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि हमला सैन्य और सरकारी ठिकानों पर हो सकता है। सबसे बड़ा निशाना तेल अवीव में इस्राइली सैन्य मुख्यालय हो सकता है। दावा है कि हमलावरों के निशाने पर हवाई अड्डे, इस्राइली संसद और यरूशलेम में प्रधानमंत्री कार्यालय भी हो सकते हैं।
आखिर इस्राइल में ईरान क्यों हमला करना चाहता है?
इस्राइल और ईरान के बीच बढ़े तनाव के पीछे पिछले सप्ताह हुई एक घटना है। दरअसल, 1 अप्रैल को युद्धक विमानों से सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमला किया गया था। हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) के अल-कुद्स बल के एक वरिष्ठ कमांडर सहित कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। ये सभी दमिश्क दूतावास परिसर में एक बैठक में भाग ले रहे थे। हमले का आरोप इस्राइल पर लगाया गया, जिसने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली। 

हमले के बाद ईरान के नेताओं ने राजनयिक मिशन को निशाना बनाए जाने की निंदा की और कड़ी प्रतिक्रिया देने की बात कही। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि इस्राइल को उसके ऑपरेशन के लिए दंडित किया जाना चाहिए और किया भी जाएगा। खामेनेई ने कहा कि यह ईरानी धरती पर हमले के बराबर है।
हमले की चेतावनी पर इस्राइल ने क्या कहा है?
जवाबी कार्रवाई की चेतावनी मिलने के बाद इस्राइल के मुख्य सैन्य प्रवक्ता डैनियल हगारी ने कहा कि सेना ने ईरानी हमले पर रिपोर्टों और बयानों के बाद उत्पन्न हुई स्थिति का मूल्यांकन किया है। इस्राइली सेना ने परिस्थितियों से निपटने के लिए योजनाओं को मंजूरी दी है। इसके साथ ही इस्राइली सेना ने नागरिकों से भी सतर्क रहने को कहा है।

उधर इस्राइल सरकार ने कहा है कि अगर ईरान सीधी सैन्य कार्रवाई करता है तो वे उसके क्षेत्र पर अपने हमलों से जवाब देंगे। बीते दिनों इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, 'जो कोई हमें नुकसान पहुंचाएगा, हम उसे नुकसान पहुंचाएंगे। हम इस्राइल की सभी सुरक्षा जरूरतों को रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरह से पूरा करने के लिए तैयार हैं।'
आखिर कितना खतरनाक हो सकता है युद्ध?
जानकारों का मानना है कि ईरान से सीधा हमला इस्राइल के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई के बराबर होगा और दमिश्क में हमले के लिए एक बड़ा जवाब होगा। अटलांटिक काउंसिल के निदेशक जोनाथन पैनिकॉफ ने कहा, 'बैलिस्टिक मिसाइलों या ड्रोन का उपयोग करके इस्राइली के खिलाफ हमला करना तेहरान के लिए सबसे जोखिम भरा विकल्प होगा। हालांकि, ईरान व्यापक पैमाने पर युद्ध को बढ़ने से रोकने की कोशिश कर सकता है। उदाहरण के लिए नागरिकों को निशाना न बनाकर केवल सैन्य या खुफिया लक्ष्यों पर हमला करना।'

दूसरी स्थिति हो सकती है कि ईरान पहले की तरह दक्षिणी लेबनान या सीरिया में हिजबुल्लाह जैसे प्रॉक्सी समूह को इस्राइल में हमले करने का आदेश देगा। हिज्बुल्लाह के पास शक्तिशाली मिसाइलों का एक बड़ा भंडार है जो इस्राइल की वायु सुरक्षा, विशेष रूप से उसके आयरन डोम और डेविड स्लिंग सिस्टम पर भारी पड़ सकता है।

तीसरी परिस्थिति में ईरान के हमले के बाद लड़ाई के मैदान में अमेरिका के कूदने का भी जोखिम हो सकता है। यह एक ऐसा नतीजा होगा जिससे ईरान बचना चाहता है क्योंकि गंभीर प्रतिबंधों से जूझ रहे ईरान के मौजूदा आर्थिक संकट उसे अमेरिका के साथ युद्ध की इजाजत नहीं देते हैं। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस सप्ताह ईरानी हमले की आशंकाओं के जवाब में इस्राइल की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। 

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