नासेर में इसराइली कार्रवाई से पहले अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया था कि उन्हें अस्पताल के अहाते में ही शवों को दफ़्न करने के लिए मजबूर किया गया था क्योंकि आस-पास के इलाकों में चल रही लड़ाई की वजह से वे कब्रिस्तान नहीं जा सकते थे.
नवंबर में अल शिफ़ा अस्पताल पर इसराइल की पहली कार्रवाई से पहले भी ऐसी ही रिपोर्टें मिली थीं.
इसराइल की मिलिट्री ने कहा है कि युद्ध के दौरान उसके सैनिकों ने ग़ज़ा के कई अस्पतालों पर छापेमारी की थी क्योंकि हमास के लड़ाके उन अस्पतालों के अंदर से हमले कर रहे थे.
हमास और इन अस्पतालों के मेडिकल अधिकारियों ने इन दावों से इनकार किया है.
इसराइल और हमास की ये लड़ाई उस वक़्त शुरू हुई जब सात अक्टूबर को हमास के लड़ाकों ने अभूतपूर्व तरीके से दक्षिणी इसराइल में सीमा पार कर हमला बोला.
हमास के इस हमले में लगभग 1200 लोग मारे गए जिनमें ज़्यादातर आम नागरिक थे. इस हमले में हमास अपने साथ 253 लोगों को बंधक बनाकर ग़ज़ा लेकर गया था.