MP News: तीसरे चरण की नौ सीटों में BJP को राजगढ़-मुरैना में टक्कर, गुना सीट सेफ, शिवराज लीड बढ़ाने लगा रहे जोर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Sun, 28 Apr 2024 07:29 PM IST

मध्य प्रदेश में दो चरणों की वोटिंग के बाद राजनीतिक दलों ने तीसरे चरण की नौ सीटों पर जोर लगा दिया है। यहां पर राजगढ़-मुरैना सीट पर भाजपा को कांटे की टक्कर दिख रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुना सीट आसान दिख रही है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जीत का मार्जिन बढ़ाने जोर लगा रहे हैं।

प्रदेश में तीसरे चरण में 7 मई को भोपाल, विदिशा, राजगढ़, बैतूल, सागर, गुना, ग्वालियर, मुरैना और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भिंड सीट पर मतदान होगा। इन सीटों पर महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे मोदी के चेहरे, राममंदिर और हिंदुत्व के सामने दब गए हैं। कुछ सीटों पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा है, जहां उसकी राह आसान दिख रही है। वहीं, टक्कर वाली सीटों पर राजनीतिक पार्टियां जातिगत फैक्टर के साथ ही वोटरों को साधने हर कोशिश में जुटी हुई हैं। इन सीटों पर दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री की साख भी दांव पर लगी है।

राजगढ़ में कांटे की टक्कर
राजगढ़ सीट पर भाजपा ने दो बार के सांसद रोडमल नागर को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। राजगढ़ सीट दिग्विजय सिंह का गढ़ है। रोडमल नागर के खिलाफ जनता में नाराजगी है। ऐसे में भाजपा ने अपनी रणनीति बदलते हुए यहां पर मोदी के चेहरे के साथ राममंदिर, हिंदुत्व के मुद्दे को आगे कर दिया है। दिग्विजय सिंह ने भी पूरा जोर लगा दिया है। वह राजगढ़ से दो बार सांसद रह चुके हैं। वे अपना आखिरी चुनाव बता इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं। 77 साल की उम्र में पदयात्रा निकालकर अपने संपर्क को सक्रिय किया। यहां मुकाबला कांटे की टक्कर वाला हो गया है। 2004 से यह सीट भाजपा के पास है। 2019 में रोडमल नागर 4,31 लाख वोट से जीते थे।विधानसभा सीट- राजगढ़ सीट पर आठ विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से 6 भाजपा और दो कांग्रेस के पास हैं।

विदिशा में मार्जिन बढ़ाने का जोर
विदिशा सीट पर भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री और पांच बार सांसद रहे शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व सांसद भानु प्रताप शर्मा को टिकट दिया है। यहां मोदी के साथ ही राममंदिर भी मुद्दा है। यह सीट भाजपा का गढ़ है। इसके बावजूद शिवराज सिंह लगातार गांव-गांव में घूम कर प्रचार कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी भानु प्रताप शर्मा लंबे समय से सक्रिय नहीं हैं। वहीं, कई कांग्रेस के सक्रिय नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ले ली। इसने भी कांग्रेस प्रत्याशी की चुनौती बढ़ा दी। यहां पर शिवराज आगे दिख रहे हैं। यह सीट 1989 से भाजपा के पास है। 2019 में रमाकांत भार्गव 5.3 लाख वोटों से चुनाव जीते थे।
विधानसभा सीट- विदिशा सीट पर 8 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से 7 भाजपा और एक सिलवानी कांग्रेस के पास है।

गुना में भाजपा की स्थिति सेफ
गुना-शिवपुरी संसदीय सीट पर भाजपा ने सांसद केपी यादव का टिकट काट कर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा छोड़कर पार्टी में शामिल होने वाले यादवेंद्र यादव को टिकट दिया है। इस सीट पर सिंधिया परिवार का प्रभाव है। 2019 में कांग्रेस के टिकट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया मोदी लहर में चुनाव हार गए थे। यहां कांग्रेस केपी यादव का टिकट काटने से नाराज यादव वोटरों को साधने में लगी है, लेकिन शाह ने एक रैली में गुना को सिंधिया और केपी यादव दो नेता मिलने की बात कहकर समाज की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया है। वहीं, मुरैना में पीएम ने ओबीसी आरक्षण खत्म करने की साजिश करने का कांग्रेस पर आरोप लगाकर यादव वोटरों को साधा। यहां मोदी का चेहरा भी बड़ा फैक्टर है। गुना सीट पर अब तक 19 चुनाव में 11 बार सिंधिया परिवार का सदस्य जीता है। 2019 में केपी यादव 1.25 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। विधानसभा सीट- गुना सीट पर 8 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से 6 भाजपा और दो कांग्रेस के पास हैं।

मुरैना में मुकाबला रोचक हुआ
मुरैना संसदीय सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक शिवमंगल सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू पर दांव लगाया है। सत्यपाल के भाई सतीश सिकरवार विधायक हैं और भाभी शोभा सिकरवार ग्वालियर से मेयर हैं। यहां पर दोनों ठाकुर प्रत्याशियों के चलते वोट दोनों के बीच बंट सकता है। ऐसे में दलित और ब्राह्मण वोटर्स जीत-हार तय कर सकता है। इसको देखते हुए चुनाव से पहले भाजपा ने बसपा से पूर्व विधायक बलवीर सिंह दंडोतिया को भाजपा में शामिल करा लिया है। मुरैना में कांग्रेस के पांच विधायक हैं। हालांकि यहां पर मोदी भी फैक्टर है। ऐसे में मुरैना में भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। इस सीट पर 1996 से भाजपा का कब्जा है। 2019 में नरेंद्र सिंह तोमर 1.13 लाख वोट से जीते थे।
विधानसभा सीट- मुरैना सीट पर 8 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से पांच पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं, तीन पर भाजपा विधायक हैं।

भिंड में कांग्रेस एंटी इंकम्बेंसी भरोसे
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भिंड लोकसभा सीट पर भाजपा ने सांसद संध्या राय को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने विधायक फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा है। भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ जनता में नाराजगी है। वहीं, फूल सिंह बरैया की दलित वोटरों में अच्छी पकड़ है। इसी सीट पर 30 प्रतिशत से ज्यादा दलित और आदिवासी वोटर हैं। यहां पर केंद्र की पीएम आवास समेत अन्य योजनाओं के चलते मोदी को लोग पसंद कर रहे हैं। फूल सिंह बरैया दमदार चेहरा होने से चुनाव में बने हुए हैं। इस सीट पर 1989 से भाजपा का कब्जा है। 2019 का चुनाव 1,99 लाख वोट से भाजपा ने जीता था।
विधानसभा सीट- भिंड सीट पर 8 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से चार भाजपा और चार कांग्रेस के पास है।

ग्वालियर में कांग्रेस दे रही टक्कर
ग्वालियर में भाजपा ने सांसद विवेक शेजवलकर का टिकट काटकर ओबीसी से आने वाल भारत सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही पिछला विधानसभा चुनाव हार गए। ग्वालियर सीट भाजपा का गढ़ है। भाजपा मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। इसके आगे बेरोजगारी, महंगाई सभी मुद्दे दब गए हैं। दोनों ही प्रत्याशियों के सामने अपनी पार्टी के भितरघातियों का डर है। प्रवीण पाठक ब्राह्मण हैं। युवा नेता हैं। वे अपनी तरह से चुनाव में पूरा जोर लगा रहे हैं। यहां पर भाजपा 2007 से अब तक लगातार चार चुनाव जीत चुकी है। 2019 का चुनाव भाजपा ने 1,46 लाख वोट से जीता था।
विधानसभा सीट- ग्वालियर में 8 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से चार भाजपा और चार कांग्रेस के पास हैं।

बैतूल सीट पर भाजपा मजबूत
बैतूल सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां पर भाजपा ने सांसद दुर्गादास उइके को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व प्रत्याशी रामू टेकाम को टिकट दिया है। बैतूल में भाजपा का संगठन लगातार काम कर रहा है। इस सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हरदा में रैली कर चुके हैं। हरदा की दोनों विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। दूसरी तरफ कांग्रेस का संगठन ही एकजुट नहीं है। जिले के पदाधिकारी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। इस सीट पर 1996 से भाजपा का कब्जा है। 2019 में भाजपा ने 3,60 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।
विधानसभा सीट- बैतूल में 8 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से 6 भाजपा और दो कांग्रेस के पास है।

सागर में मोदी की लोकप्रियता भारी
सागर संसदीय सीट पर भाजपा ने राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेड़े को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने गुड्डू राजा बुंदेला को टिकट दिया है। आठ माह में प्रधानमंत्री ने सागर का तीसरा दौरा किया और भाजपा प्रत्याशी के लिए रैली की। इस सीट पर हिंदुत्व, राममंदिर और मोदी के चेहरे पर भाजपा वोट मांग रही है। यहां पर भाजपा के सामने कांग्रेस का संगठन बहुत कमजोर है। यह सीट 1996 से भाजपा के पास है। 2019 में भाजपा तीन लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीती थी।
विधानसभा सीट- सागर में 8 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से 7 भाजपा और एक सीट कांग्रेस के पास है।

भोपाल में भाजपा मोदी मैजिक के भरोसे
भोपाल संसदीय सीट पर भाजपा ने सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काटकर पूर्व महापौर आलोक शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर पांच लाख के करीब मुस्लिम वोटर्स हैं। भाजपा को वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा हो सकता है। यही वजह है कि भाजपा ने दो विधानसभा चुनाव हारे आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोड शो किया। सड़कों को पूरा भगवामय कर दिया। यहां पर महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मैजिक, हिंदुत्व और राममंदिर के आगे सब दब गए हैं। इस सीट पर तीन लाख ब्राह्मण और ढाई लाख कायस्थ वोटर्स हैं। यही वजह है कि भाजपा ने जाति का कार्ड खेला है। इस सीट पर 1989 से भाजपा का कब्जा है। 2019 में भाजपा की प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को 3.86 लाख वोट से हराया था।
विधानसभा सीट- भोपाल में 8 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से 6 भाजपा और दो सीट कांग्रेस के पास है।

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