तीसरी संतान होने पर महिला शिक्षक को किया बर्खास्त, मचा हड़कंप

दिग्विजय सरकार में बना था नियम, कुछ की कई नौकरी, कई कर रहे नौकरी
भोपाल। राज्य के छतरपुर जिले में महिला शिक्षक के तीन बच्चे होने पर शिक्षा विभाग ने उसे नौकरी से निकाल दिया। महिला शिक्षक शासकीय स्कूल धमौरा में अध्यापक के पद पर पदस्थ थीं। शिक्षा विभाग के इस कदम के बाद राज्य के कर्मचारियों में हड़कंप सा मच गया है। वहीं महिला शिक्षिका ने कहा है कि मेरे जैसे कई और शिक्षक हैं, जिनकी तीन संतानें हैं, वे इस मामले को लेकर अदालत जाएंगी।
छतरपुर जिले के ग्राम धमौरा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ माध्यमिक शिक्षक रंजीता साहू को नौकरी से बर्खास्त किया गया है। मामले के अनुसार वर्ष 2001 के बाद तीसरी संतान होने के कारण संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर संभाग ने महिला शिक्षिका रंजीता साहू की शासकीय सेवा को तत्काल प्रभाव से समाप्त किए जाने का आदेश जारी किया है। जानकारी के मुताबिक शिक्षक रंजीता साहू के तीन संतान होने के बाद यह विभागीय कार्रवाई की गई है। मध्यप्रदेश शासन ने 2001 के बाद तीन संतान होने पर शासकीय शिक्षक की सेवा समाप्ति के नियम लागू किया था। जांच के बाद सागर के संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग ने शिक्षक रंजीता साहू का बर्खास्तगी का आदेश जारी किया।
भिंड जिले में भी जा चुकी है एक शिक्षक की नौकरी
करीब नौ महीने पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें भिंड जिले के सीएम राइज स्कूल में अंग्रेजी विषय के शिक्षक गणेश प्रसाद शर्मा की नियुक्ति हुई थी। जब सरकार को पता चला कि उनकी तीसरी संतान भी है, तो उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई। गणेश प्रसाद शर्मा की भर्ती माध्यमिक शिक्षक वर्ग-2 के लिए हुई थी। नियुक्ति के बाद उनके खिलाफ शिकायत हुई, तो जांच में पाया गया कि 26 जनवरी 2001 के बाद उनकी तीसरी संतान भी है। जांच में यह भी पता चला कि नियुक्ति के दौरान शपथ-पत्र में गणेश प्रसाद शर्मा ने बच्चों की सही जानकारी छुपाई थी।
दिग्विजय सरकार में बना था नियम
राज्य सरकार के नियमों के अनुसार कोई भी सरकारी सेवक जिसकी तीसरा संतान 26 जनवरी 2021 के बाद जन्मी है, वे सरकारी नौकरी के लिए अपात्र घोषित किए जाएंगे। यदि इस तारीख के बाद तीसरी संतान जन्म लेती है तो सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य हो जाएंगे। इसी नियम के तहत रंजीता साहू की नौकरी गई है। सरकारी सेवक की तीसरी संतान होने पर अयोग्य घोषित किए जाने का नियम 2021 में कांग्रेस शासनकाल अर्थात दिग्विजय सिंह सरकार में बना था। तब से लेकर अब तक कई सरकारी कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं।

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