प्रदेश में नक्सलियों को नहीं लुभा पाया पुनर्वास पैकेज

 

बेहतर नीति के बाद भी हथियार डालने में नहीं दिखाते रूचि
भोपाल। नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में शामिल करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2023 में नई नक्सल पुनर्वास-सह-राहत नीति लागू की थी। इस नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को गोपनीय सैनिक या आरक्षक के रूप में नियुक्त करने तथा हिंसा प्रभावित परिवारों के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का प्रावधान किया गया था। सरकार का दावा है कि यह नीति देश की सबसे उदार और आकर्षक योजनाओं में से एक है।
हालांकि, नीति लागू होने के बाद इतना लंबा समय बीतने के बावजूद नीति के अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए हैं। राज्य में नई नीति लागू होने के बाद से अब तक एक भी नक्सली ने आत्मसमर्पण नहीं किया है, जबकि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में जनवरी 2024 से अब तक दो हजार से अधिक नक्सली हथियार डाल चुके हैं। बीते दिनों केवल दो दिनों में ही छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में 258 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
तीन जिलों में नक्सल प्रभाव
प्रदेश के तीन ज़िले बालाघाट, मंडला और डिंडोरी वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित माने जाते हैं। इनमें से केवल बालाघाट अब भी देश के  सक्रिय नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल है, जिसे हाल ही में सबसे ज़्यादा प्रभावित से घटाकर चिंताजनक श्रेणी में रखा गया है। वहीं डिंडोरी को अब केन्द्र सरकार द्वारा नक्सल मुक्त घोषित किया जा चुका है और मंडला को अन्य सूची में स्थानांतरित किया गया है।
बेहतर नीति, परिणाम अपेक्षा के अनुरूप् नहीं
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मध्यप्रदेश की नीति पड़ोसी राज्यों से बेहतर होने के बावजूद नक्सली आत्मसमर्पण के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी  के अनुसार हम लगातार नक्सलियों से आत्मसमर्पण की अपील कर रहे हैं, लेकिन परिणाम उम्मीद के अनुरूप नहीं हैं। इसका एक कारण यह भी है कि अधिकतर नक्सली छत्तीसगढ़ या महाराष्ट्र से घुसपैठ करते हैं और वे अपने गृह राज्य में ही आत्मसमर्पण को प्राथमिकता देते हैं।
प्रदेश से मात्र तीन सक्रिय नक्सली
पुलिस रिकार्ड के अनुसार मध्यप्रदेश के केवल तीन नक्सली ही वर्तमान में सक्रिय हैं। इनमें बालाघाट के तलीगोंडा निवासी दीपक, और रशीमेटा क्षेत्र के रामसिंह उर्फ संपत्ता (60 वर्ष) तथा संगीता उर्फ सेवंती पंद्रे (38 वर्ष) शामिल हैं। दीपक पर 125 मामले, जबकि संगीता और संपत्ता पर 14-14 लाख रुपये का इनाम’ घोषित है। संपत्ता वर्ष 1991 से सक्रिय है और 2000 में गिरफ्तार होने के बाद 2004 में रिहा किया गया था।


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