Mehli Mistry: 'कोई भी व्यक्ति संस्थान से बड़ा नहीं...', मेहली मिस्त्री ने टाटा ट्रस्ट से अलग होने का किया एलान

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Tue, 04 Nov 2025 09:42 PM IST

Mehli Mistry: मेहली मिस्त्री ने रतन टाटा के आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता का हवाला देकर टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। उन्होंने ट्रस्ट के सदस्यों को एक पत्र भी लिखा है।

टाटा ट्रस्ट में मेहली मिस्त्री की ट्रस्टी पद को लेकर चल रही अटकलों पर मंगलवार को विराम लग गया। सूत्रों के मुताबिक, मेहली मिस्त्री ने आधिकारिक रूप से टाटा समूह से अलग होने का फैसला कर लिया है। टस्ट्र के सदस्यों को लिखे पत्र में मिस्त्री ने लिखा कि कोई भी व्यक्ति उस संस्थान से बड़ा नहीं है जिसकी वह सेवा करता है। मिस्त्री ने टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टियों को लिखे पत्र में तीन प्रमुख ट्रस्टों सर रतन टाटा, सर दोराबजी टाटा और बाई हीराबाई जे.एन. टाटा नवसारी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में पद छोड़ने की घोषणा की है।                     मेहली मिस्त्री ने पत्र में लिखा कि, ट्रस्टी के रूप में सेवा करना उनके लिए सौभाग्य रहा है। यह अवसर उन्हें दिवंगत रतन एन टाटा के व्यक्तिगत समर्थन से मिला, जिन्हें उन्होंने अपना सबसे प्रिय मित्र और मार्गदर्शक बताया। मुंबई लौटने पर मुझे मेरे ट्रस्टीत्व से जुड़ी हालिया रिपोर्टिंग के बारे में पता चला। ऐसे में मेरा पत्र ऐसी अटकलों पर विराम लगाने में सहायक होगा जो टाटा ट्रस्ट के हितों की पूर्ति नहीं करतीं और उसके दृष्टिकोण के विपरीत हैं।मिस्त्री ने लिखा, टाटा ट्रस्ट के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए मैं नैतिक शासन, शांत परोपकार और सर्वोच्च निष्ठा के उनके दृष्टिकोण से प्रेरित रहा हूं। मिस्त्री ने बताया, मैंने 28 अक्तूबर, 2025 तक ट्रस्टी के रूप में कार्य किया है। उन्होंने कहा कि रतन एन. टाटा की सोच के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में यह जिम्मेदारी भी शामिल है कि टाटा ट्रस्ट किसी विवाद में न उलझे, क्योंकि ऐसा होने पर संस्था की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति हो सकती है।                                                             

मिस्त्री ने लिखा, इस तरह के मामलों को आगे बढ़ाने से टाटा ट्रस्ट की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति होगी। इसलिए, रतन टाटा की भावना का सम्मान करते हुए, जिन्होंने हमेशा जनहित को अपने हित से ऊपर रखा है, मुझे उम्मीद है कि आगे चलकर अन्य ट्रस्टियों के कार्य पारदर्शिता, सुशासन और जनहित के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होंगे। उन्होंने अपने पत्र का समापन रतन टाटा के एक उद्धरण के साथ किया, कोई भी व्यक्ति उस संस्थान से बड़ा नहीं है जिसकी वह सेवा करता है।
मिस्री का ट्रस्टी के रूप में अक्तूबर में खत्म हुआ कार्यकाल
मिस्त्री का इस साल 27 अक्तूबर को टाटा ट्रस्ट में ट्रस्टी के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया। पिछले साल 17 अक्तूबर को टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी बोर्ड के प्रस्ताव के मुताबिक, मिस्त्री को आजीवन ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त किया जाना था। हालांकि, उनकी दोबारा नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली क्योंकि दो प्रमुख ट्रस्ट 'सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट' और 'सर रतन टाटा ट्रस्ट' में तीन ट्रस्टी ने इसका विरोध किया।
मिस्त्री ने एहतियात के तौर पर महाराष्ट्र धर्मार्थ आयुक्त के पास एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि ट्रस्टियों की सूची में किसी भी बदलाव से पहले उन्हें सुना जाए। अब मिस्त्री ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए टाटा ट्रस्ट से अपने अलग होने की औपचारिक घोषणा कर दी है। 

Leave Comments

Top