Second day Ijtema: इज्तिमा में मौलाना सईद बोले-मस्जिदों से दूर हो रहे मुसलमान, बे-नमाजी बढ़ना सबसे बड़ा नुकसान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Sat, 15 Nov 2025 01:18 PM IS

इटखेड़ी में जारी 78वें आलमी तबलीगी इज्तिमा के दूसरे दिन मुसलमानों में बढ़ रही बे-नमाज़ी, मस्जिदों से दूरी और हलाल–हराम की पहचान मिटने पर मौलाना सईद ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि उम्मत में बढ़ती गफलत ही मौजूदा परेशानियों की सबसे बड़ी वजह है।

भोपाल के इटखेड़ी में चल रहे 78वें आलमी तबलीगी इज्तिमा के दूसरे दिन फजर की नमाज के बाद मौलाना साद के छोटे बेटे मौलाना सईद ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि आज मुसलमान मस्जिदों से दूर होते जा रहे हैं और बे-नमाजी का रुझान बढ़ रहा है, जो उम्मत के लिए सबसे बड़ा नुकसान है। उन्होंने कहा कि जितना खौफ नुकसान का है, उतना अल्लाह का हो जाए तो सारे मसले खुद-ब-खुद हल हो जाएंगे।


मस्जिदों से दूर होने पर चिंता
मौलाना सईद ने कहा कि मुसलमान अपनी परेशानियों का हल दुनिया और लोगों में ढूंढ रहे हैं, जबकि हर मसले का हल सिर्फ अल्लाह के पास है। उन्होंने कहा कि अगर मुसलमान अपनी मुश्किलों को नमाज और दुआ में अल्लाह से मांगेंगे, तो इंशाअल्लाह हर परेशानी आसान हो जाएगी।
हलाल–हराम की पहचान कमजोर होने पर बयान
मौलाना सईद ने कुरआन और हदीस का हवाला देते हुए कहा कि आज हालात इसलिए खराब हुए हैं क्योंकि लोग हलाल–हराम की पहचान भूलते जा रहे हैं। दीन से दूरी और गुनाहों का रुझान बढ़ चुका है।उन्होंने कहा कि यह सब परेशानियों के बढ़ने की बड़ी वजह है।
मुसलमान की पहचान पर बयान
इज्तिमा स्थल से आए जमातियों ने बताया कि सुबह के सत्र में वक्ताओं ने इंसानियत और सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि मुसलमान वो है जिसके हाथ और ज़बान से दूसरा इंसान महफूज रहे। एक शख्त भी अगर बे-नमाज हो और पूरा मोहल्ला उसे नमाजी बनाने की कोशिश न करे, तो मोहल्ला गुनहगार माना जाएगा।
किसान सर्दी-गर्मी, बीमारी-तंगी किसी चीज की परवाह नहीं करता
मौलाना सईद ने मेहनत और यकीन पर विस्तार से बात करते हुए कहा कि इंसान आम तौर पर उसी चीज़ पर मेहनत करता है जिसे वह अपनी आंखों से होता हुआ देख ले। उन्होंने किसान की मिसाल देते हुए कहा कि किसान सर्दी-गर्मी, बीमारी-तंगी किसी चीज की परवाह नहीं करता क्योंकि उसने अपनी आंखों से देखा है कि बीज बोने पर फसल उगती है। उन्होंने कहा कि इंसान जिस चीज का नतीजा आंख से देख ले, उसी पर जम जाता है यही मेहनत का पहला रुख है। लेकिन उन्होंने बताया कि दीन की मेहनत वह है जो आंखों से नहीं दिखाई देती, अच्छी जिंदगी, हक की रात और यही असल कामयाबी है। उन्होंने कहा कि जब इंसान वजहों दुकान, कारोबार, नौकरी, गाड़ी को असली समझ लेता है, तो यकीन कमजोर हो जाता है। उन्होंने कहा कि आज लोग कहते हैं। मेरी दुकान ने हज करवा दिया, मेरी गाड़ी ने मेरे मसले हल कर दिए। यह सब गलत यकीन की निशानी है। काम कराने वाला सिर्फ अल्लाह है।

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