सबका बीमा सबकी रक्षा: 100% एफडीआई को मिली मंजूरी, 87 साल पुराने नियमों में बदलाव के लिए बिल लोकसभा में पास

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Tue, 16 Dec 2025 05:14 PM IST

100 FDI In Insurance Sector: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में 'सबका बीमा सबकी रक्षा विधेयक, 2025' पेश किया। जानिए कैसे 'वन टाइम या कंपोजिट लाइसेंस' और 100% एफडीआई से बदलेगा भारत का बीमा सेक्टर और आम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में बहुप्रतीक्षित 'सबका बीमा सबकी रक्षा विधेयक 2025 पेश किया। जिसे सदन की ओर से पारित कर दिया गया। वित्त मंत्री ने यह विधेयक पेश करते हुए बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश और घरेलू कंपनियों की कार्यक्षमता बढ़ाने का हवाला दिया। यह विधेयक में तीन प्रमुख कानूनों- बीमा अधिनियम (1938), जीवन बीमा निगम अधिनियम (1956) और बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण अधिनियम (1999) में व्यापक संशोधन का प्रस्ताव ह

विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "आम लोगों का बीमा हमेशा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता रही है और केंद्र सरकार ने कोविड महामारी के दौरान भी समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को बीमा प्रदान किया है।" सदन में प्रस्तावित संशोधनों को स्वीकार करते हुए विधेयक को पारित कर दिया गया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि संसद में पेश किए गए विधेयक के माध्यम से लाए गए बीमा सुधारों से लोगों को बीमा तक अधिक पहुंच मिलेगी, बेहतर नियामक निगरानी होगी और अनुपालन में आसानी सुनिश्चित होगी।                                                                                                                                                                                  'सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025' को लोकसभा में विचार के लिए पेश करते हुए, सीतारमण ने कहा कि इस मसौदा कानून का उद्देश्य पारदर्शिता लाना, अनुपालन अनिवार्यताओं को आसान बनाना और इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ाना है।

बीमा कंपनियों की संख्या 2014 में 53 से बढ़कर अब 74 हो गई

मंत्री ने कहा कि बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 2015 में 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत, 2021 में 74 प्रतिशत कर दी गई थी और अब इसे 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। सीतारमण ने कहा, "इनसे बीमा क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिला है। बीमा कंपनियों की संख्या 2014 में 53 से बढ़कर अब 74 हो गई है।"
उन्होंने कहा कि बीमा की पहुंच 2014-15 में 3.3 प्रतिशत से बढ़कर अब 3.8 प्रतिशत हो गई है और बीमा घनत्व या प्रति व्यक्ति एक वर्ष में भुगतान किया जाने वाला औसत बीमा प्रीमियम 2014 में 55 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अब 97 अमेरिकी डॉलर हो गया है। मंत्री ने कहा कि भुगतान किया गया कुल बीमा प्रीमियम 2014-15 में 4.15 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 11.93 लाख करोड़ रुपये हो गया है और प्रबंधन के तहत संपत्ति 24.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 74.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
इस बीच, राज्यसभा ने Appropriation (No. 4) Bill 2025 को चर्चा के बाद लोक सभा को वापस कर दिया गया। संविधान के अनुसार मनी बिल केवल लोक सभा में पेश होता है और राज्यसभा इसे अस्वीकार नहीं कर सकती, केवल चर्चा करने के बाद लौटाती है

विधेयक की पांच बड़ी बातें क्या हैं? नीचे जानें

1. बीमा क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश
अब तक भारतीय बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश की सीमा 74% थी। इस विधेयक के पारित होने के बाद विदेशी कंपनियां 100% स्वामित्व के साथ भारत में काम कर सकेंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ेगा, बल्कि ग्लोबल बीमा कंपनियां अपनी आधुनिक तकनीक और नए उत्पाद (Products) भारतीय ग्राहकों तक पहुंचा सकेंगी।

2. एलआईसी के बोर्ड को अधिक अधिकार 

विधेयक में एलआईसी अधिनियम, 1956 में संशोधन कर सरकारी बीमा कंपनी के बोर्ड को अधिक शक्तियां दी गई है। अब एलआईसी को नए जोनल ऑफिस खोलने के लिए सरकार की पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं होगी। इससे सरकारी बीमा कंपनी बाजार में निजी कंपनियों का मुकाबला तेजी से कर सकेगी।

3. एजेंट्स और मध्यस्थों का 'वन टाइम रजिस्ट्रेशन' 
नए बिल के कानून में बदलने के बाद बीमा एजेंट्स और इंटरमीडियरीज के लिए 'वन-टाइम रजिस्ट्रेशन' की व्यवस्था लागू की जाएगी। इसका मतलब है कि उन्हें बार-बार लाइसेंस रिन्यू कराने के झंझट से मुक्ति मिलेगी, जो 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' की दिशा में उठाया गया एक एक बड़ा कदम है।

4. पॉलिसीधारकों की सुरक्षा 
विधेयक का मुख्य उद्देश्य पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करना है। इसमें बीमा कंपनियों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, दावों (Claims) के निपटान को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए बीमा नियामक आईआरडीएआई को और अधिक मजबूत करने का प्रस्ताव है।

5. विदेशी री-इंश्योरेंस कंपनियों के लिए राहत
विदेशी री-इंश्योरेंस कंपनियों के लिए 'नेट ओन्ड फंड' की अनिवार्यता को 5,000 करोड़ रुपये से घटाकर 1,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है। इससे भारत में री-इंश्योरेंस का बाजार बड़ा होगा और जोखिम प्रबंधन बेहतर होगा।

सरकार का तर्क और विपक्ष के सवाल

सरकार का कहना है कि भारत में बीमा की पहुंच अभी भी वैश्विक औसत से कम है। 2047 तक हर भारतीय को बीमा सुरक्षा देने के लिए भारी निवेश की जरूरत है, जो 100% एफडीआई से संभव होगा। हालांकि, कुछ विपक्षी सांसदों और कर्मचारी यूनियनों ने LIC में सरकारी नियंत्रण कम होने और विदेशी कंपनियों के एकाधिकार को लेकर चिंता जाहिर की है। विधेयक में यह सुनिश्चित करने का प्रावधान भी है कि भले ही 100% एफडीआई हो, लेकिन कंपनी के प्रमुख पदों (जैसे सीईओ या एमडी) पर भारतीय नागरिक की नियुक्ति अनिवार्य हो सकती है, ताकि घरेलू हितों की रक्षा की जा सके।

बाजार पर असर

बीमा क्षेत्र में 100 एफडीआई की खबरों के बाद शेयर बाजार में लिस्टेड बीमा कंपनियों (जैसे एलआईसी, एसबीआई, एचडीएफसी लाइफ) के शेयरों में हलचल देखने को मिल सकती है। विश्लेषकों के अनुसार, यह सुधार अगले एक दशक में भारतीय बीमा सेक्टर की तस्वीर पूरी तरह बदल सकता है। 


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