गैर दलीय होने वाले चुनाव में दलों के समर्थक उतरेंगे मैदान में
भोपाल। प्रदेश में सहकारी साख समितियों के चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों में सक्रियता बढ़ने लगी है। चुनाव को लेकर जल्द ही बैठकों का दौर भी ष्शुरू होने वाला है। हालांकि, यह चुनाव भी पंचायत चुनावों की तर्ज पर गैर दलीय होते हैं, लेकिन सीधे तौर पर चुनावों में राजनीतिक दल अपने पदाधिकारी, समर्थक और कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतारते हैं।
प्रदेश में पचास लाख से अधिक किसानों की सदस्यता वाली प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पीएसीएस) के चुनाव पहले होंगे। फिर जिला सहकारी बैंक और फिर अपेक्स बैंक के चुनाव होंगे। प्रदेश की साढ़े चार हजार से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों में उम्मीदवारों के लिए खोजबीन शुरू हो गई है। इसके अलावा पुराने चुनावी आंकड़ों को भी खंगाला जा रहा है। चुनावों को लेकर किसान मोर्चा को भी सक्रिय हो गया है। चुनावी घोषणा होने के बाद से ही मंडल स्तर पर रायशुमारी भी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि चुनावी तैयारियों को लेकर जल्द ही भाजपा में बैठकों के दौर शुरू होंगे। किसान संघ ने भी सहकारी चुनाव को लेकर अनौपचारिक बैठक भी की। भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य राजनीतिक दलों ने भी चुनाव को लेकर सक्रियता दिखानी शुरू की है। सभी दलों द्वारा अभी बैठकों की तारीख तो तय नहीं की है, मगर नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी के समर्थकों को वे चुनाव मैदान में उतारेंगे, इसकी रणनीति भी जल्द बनाई जाएगी।
पांच चरणों में होंगे चुनाव
गौरतलब है कि प्रदेश में कृषि साख सहकारी समितियां के चुनाव कराने की घोषणा की है। प्रदेश में यह चुनाव पूरे 8 साल बाद पांच चरणों में होंगे। कृषि साख सहकारी समितियां के चुनाव 1 मई से 7 सितंबर 2025 की अवधि में होंगे। यह चुनाव पांच चरणों में गैर दलीय आधार पर कराए जाएंगे। कृषि साख सहकारी समितियां से प्रदेश के करीब 50 लाख किसान जुड़े हुए हैं। पहला चरण (1 मई-23 जून), दूसरा चरण (13 मई-4 जुलाई), तीसरा चरण (23 जून-22 अगस्त), चौथा चरण (5 जुलाई-31 अगस्त), और पांचवां चरण (14 जुलाई-7 सितंबर)। यह प्रक्रिया समितियों के पुनर्गठन और किसानों की सहभागिता को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
2013 में हुए थे आखिरी बार चुनाव
प्रदेश में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के चुनाव आखिरी बार 2013 में हुए थे, जिनका कार्यकाल 2018 में समाप्त हुआ। नियमानुसार छह माह पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन विधानसभा चुनाव, किसान कर्ज माफी और अन्य कारणों से यह लगातार टलता रहा। कांग्रेस और शिवराज सरकारों के कार्यकाल में भी यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। चुनाव न होने से असंतोष बढ़ा और हाई कोर्ट की जबलपुर व ग्वालियर खंडपीठ में कई याचिकाएं दायर हुईं। मार्च में महाधिवक्ता कार्यालय ने सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव और सहकारिता विभाग को सुझाव दिया कि चुनाव जल्द कराना जरूरी है। इसके बाद राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी ने कार्यक्रम घोषित किया।