मध्य प्रदेश में लागू की गई नई आबकारी नीति को लेकर जहां एक ओर सरकारी स्तर पर इसे सुधारात्मक बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसके जमीन पर क्रियान्वयन को लेकर विरोध तेज हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इस विषय पर सोशल मीडिया पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। उमा भारती ने लिखा कि वर्ष 2023 में घोषित शराब नीति एक व्यापक सोच के तहत तैयार की गई थी, जो राज्य को धीरे-धीरे शराबबंदी की ओर ले जाने वाली थी।
उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने बीते डेढ़ वर्षों में नई सरकार से लगातार इस मुद्दे पर चर्चा की थी, लेकिन अब इस नीति से भटकाव दिखाई दे रहा है। उमा लिखा कि चार महीने से मन में हलचल है। ऐसा लग रहा है जैसे शराब वितरण नीति को लेकर हम लापरवाह हो गए हैं। चौकीदार अभी जिंदा है। अब हाथ में पत्थर की जरूरत नहीं, गाय के गोबर की चोट ज्यादा भारी पड़ सकती है। बता दें, सरकार ने धार्मिक स्थलों के पास शराब की बिक्री पर रोक जरूर लगाई है, लेकिन अब ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि इन दुकानों को अब ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जा रहा है। इसके खिलाफ ग्रामीणों विशेषकर महिलाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं, भोपाल समेत कई जगहों पर शराब दुकानों को हटाने को लेकर विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। उमा ने इसी जनविरोध का हवाला देते हुए सरकार से पूछा कि क्या अब जनता की भावनाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है?