MP News: दुविधा में मोहन सरकार, किसको-किसको बचाएं, एक के बाद एक गड़बड़ी

MP News: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने कार्रवाई करने की अनुशंसा भी की पर रस्म अदायगी के अलावा कुछ नहीं हुआ। दरअसल, दुविधा यह है कि इन मामलों में कार्रवाई होती है तो सवाल भाजपा सरकार पर ही उठेंगे, इसलिए कदम भी फूंक-फूंककर रखा जा रहा है।

By Navodit Saktawat Edited By: Navodit Saktawat Publish Date: Wed, 16 Apr 2025 04:44:03 PM (IST) Updated Date: Wed, 16 Apr 2025 06:24:55 PM (IST

HighLights

  1. आजीविका मिशन में नियुक्ति, पूरक पोषण आहार में खामी।
  2. और भी कई मामलों में अब गड़बड़ियां हो चुकी हैं उजागर।
  3. भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक तक ले चुके हैं आपत्ति।

राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मोहन सरकार की दुविधा इन दिनों बढ़ी हुई है। तत्कालीन शिवराज सरकार के समय के एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें अधिकारियों के विरुद्ध सीधी कार्रवाई होनी चाहिए, पर ठोस कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं। ग्रामीण आजीविका मिशन में नियुक्तियों का घोटाला सामने है। इसमें तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी एलएम बेलवाल और तत्कालीन अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास इकबाल सिंह बैंस की भूमिका पर सवाल उठे हैं।

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वहीं, पूरक पोषण आहार घोटाले को लेकर महिला एवं बाल विकास के साथ एमपी एग्रो घेरे में आया पर किसी अधिकारी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही स्थिति ऊर्जा विभाग को लेकर भी रही। भारत सरकार की सौभाग्य योजना में गलत आंकड़े प्रस्तुत करके केंद्र सरकार से पुरस्कार तक ले लिया।

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जांच पर जांच, नतीजा कुछ नहीं

  • राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में तत्कालीन शिवराज सरकार के समय संविदा नियुक्तियों के नाम पर जमकर खेल हुआ।
  • तत्कालीन मंत्री गोपाल भार्गव के निर्देशों को दरकिनार कर तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी एलएम बेलवाल ने मनमाने तरीके से नियुक्तियां कीं।
  • हाई कोर्ट भी मामला पहुंचा। तीन बार जांच हुई। इसमें गड़बड़ियों की पुष्टि भी हुई पर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के सिरपरस्ती के चलते कार्रवाई कुछ नहीं हुई।
  • उधर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने एक और जांच यह कहते हुए शुरू कर दी कि संबंधितों का पक्ष भी आना चाहिए। कुल मिलाकर नौ वर्ष से चला आ रहा मामला जहां का तहां है।
  • इसमें इतना अवश्य हुआ कि राज्य आर्थिक अपराध इकाई ने प्रकरण दर्ज कर लिया। इसके पहले कांग्रेस ने लोकायुक्त में शिकायत की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

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मोटरसाइकिल, टैंकर, कार, आटो से ढो दिया हजारों टन पूरक पोषण आहार

  • यह प्रदेश में अपनी तरह का पहला मामला था। यह किसी और ने नहीं बल्कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने पकड़ा।
  • जिन ट्रकों से टेक होम राशन का परिवहन बताया गया जांच में वह नंबर मोटरसाइकिल, टैंकर, कार, आटो के निकले। 62 करोड़ 72 लाख रुपये का 10,176 टन पोषण आहार न गोदाम में पाया गया, न परिवहन के प्रमाण मिले।
  • बिजली और कच्चे माल की खपत में अंतर मिला, इस अंतर के हिसाब से 58 करोड़ रुपये का फर्जी उत्पादन बताया गया।
  • महालेखाकार ने मुख्य सचिव से कहा कि स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराकर दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए लेकिन कुछ नहीं हुआ।
  • महिला एवं बाल विकास विभाग ने पहले तो रिपोर्ट को ही त्रूटिपूर्ण बताकर किनारा करने का प्रयास किया पर जब विधानसभा की लोक लेखा समिति ने सवाल उठाए तो रस्मी तौर पर कुछ अधिकारियों को नोटिस देकर जवाब तलब कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
  • इसमें एमपी एग्रो की भूमिका पर भी सवाल उठे क्योंकि पूरक पोषण आहार तैयार करने वाले संयंत्रों का जिम्मा इसके पास था।
  • उल्लेखनीय है कि पूरक पोषण आहार का खेल प्रदेश में लंबे समय से चला आ रहा है और एग्रो में जो अधिकारी पदस्थ रहे हैं, वे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय में भी पदस्थ रहते थे। यही कारण है कि किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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गलत आंकड़े देकर पुरस्कार तक ले लिया

  • ग्रामीण क्षेत्र में घरेलू विद्युत कनेक्शन देने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री हर घर सहज बिजली योजना (सौभाग्य) 2017 में लागू की थी।
  • इसमें 30 नवंबर 2018 तक विद्युत वितरण कंपनी ने घरेलू कनेक्शन देने का लक्ष्य पूरा करने का प्रमाण पत्र भारत सरकार को भेज दिया।
  • इसके आधार पर मध्य क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों को 100-100 करोड़ रुपये का पुरस्कार भी मिल गया।
  • कैग की जांच में राजफाश हुआ कि मध्य क्षेत्र कंपनी ने तो टेंडर ही दिसंबर 2018 में जारी किए। अक्टूबर 2019 में काम पूरा किया गया।
  • कांग्रेस सरकार में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने इसकी जांच कराई थी तो डिंडौरी, मंडला में सौभाग्य योजना में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था पर अब तक किसी के विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

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