Waqf Amendment Act: वक्फ अधिनियम पर अंतरिम रोक लगाने वाला था सुप्रीम कोर्ट, जानें क्यों टाल दिया फैसला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Wed, 16 Apr 2025 10:51 PM सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को  वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा था। कोर्ट द्वारा किए गए प्रस्तावों में केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना, वक्फ संपत्तियों पर विवाद तय करने के लिए कलेक्टरों की शक्तियां और अदालतों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के प्रावधान शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था। जिसमें अदालतों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने और केंद्रीय वक्फ परिषदों तथा बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की शक्ति शामिल ह

 
अदालत ने पूछा- क्या वह हिंदू धार्मिक न्यासों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता के खिलाफ 72 याचिकाओं से संबंधित सुनवाई प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषदों और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही केंद्र से पूछा कि क्या वह हिंदू धार्मिक न्यासों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है?
केंद्र सरकार  की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और मुस्लिम निकायों तथा व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सी यू सिंह सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने नोटिस जारी करने और एक अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा। सीजेआई ने कहा कि इससे समानताएं संतुलित होंगी।
पीठ ने कहा, अदालतों द्वारा वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियों को वक्फ के रूप में गैर-अधिसूचित नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वे उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ हों या विलेख द्वारा वक्फ हों, इसके अलावा अदालत वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
वक्फ में कलेक्टर की भूमिका पर अदालत ने जताई आपत्ति
पीठ ने संशोधित कानून के उस प्रावधान पर रोक लगाने का भी संकेत दिया। जिसमें कहा गया है कि कलेक्टर द्वारा यह जांच किए जाने तक कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा। पीठ ने अधिनियम को लेकर प्रावधान-वार आपत्तियों पर गौर किया और केंद्रीय वक्फ परिषद तथा राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने सहित कानून के कई पहलुओं पर आपत्तियां व्यक्त कीं।

 वक्फ घोषित की गई संपत्ति को गैर-अधिसूचित करने के परिणाम गंभीर हो सकते हैं- सीजेआई
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, आमतौर पर, जब कोई कानून पारित होता है तो अदालतें प्रवेश स्तर पर हस्तक्षेप नहीं करती हैं। लेकिन इस मामले में अपवाद की आवश्यकता हो सकती है। यदि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ घोषित की गई संपत्ति को गैर-अधिसूचित किया जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
सुनवाई के दौरान पीठ और सॉलिसिटर जनरल के बीच तब तीखी नोकझोंक हुई जब न्यायाधीशों ने वक्फ प्रशासन में गैर-मुस्लिमों को अनुमति देने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाए। विधि अधिकारी ने कहा कि वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल नहीं किया जाएगा। उन्होंने एक हलफनामे में यह बात कहने की पेशकश की।
पीठ ने कहा कि नए अधिनियम के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद के 22 सदस्यों में से केवल आठ मुस्लिम होंगे।पीठ ने पूछा,  यदि आठ मुस्लिम हैं, तो दो ऐसे न्यायाधीश भी हो सकते हैं जो मुस्लिम न हों। इससे गैर-मुस्लिमों का बहुमत हो जाता है। यह संस्था के धार्मिक चरित्र के साथ कैसे संगत है?

गरमाया अदालत का माहौल
अदालत का माहौल उस समय गरमा गया जब विधि अधिकारी ने सभी हिन्दू न्यायाधीशों वाली पीठ की निष्पक्षता पर सवाल उठाया। पीठ ने कहा, जब हम यहां बैठते हैं, तो हम अपनी व्यक्तिगत पहचान त्याग देते हैं। हमारे लिए, कानून के समक्ष सभी पक्ष समान हैं। यह तुलना पूरी तरह से गलत है।
अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि फिर हिंदू मंदिरों के सलाहकार बोर्ड में गैर-हिंदुओं को क्यों नहीं शामिल किया जाना चाहिए?  न्यायालय ने फिलहाल कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है, तथा कहा कि वह वर्तमान चरण में कानून पर रोक लगाने पर विचार नहीं करेगा।
पीठ ने मेहता से सवाल किया कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ की अनुमति कैसे नहीं दी जा सकती, क्योंकि कई लोगों के पास ऐसे वक्फ पंजीकृत कराने के लिए अपेक्षित दस्तावेज नहीं होंगे। पीठ ने कहा, आप उपयोगकर्ता द्वारा ऐसे वक्फ को कैसे पंजीकृत करेंगे? उनके पास कौन से दस्तावेज होंगे? इससे कुछ पूर्ववत हो जाएगा। हां, कुछ दुरुपयोग है। लेकिन वास्तविक भी हैं। मैंने प्रिवी काउंसिल के फैसलों को भी पढ़ा है। उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को मान्यता दी गई है। यदि आप इसे पूर्ववत करते हैं तो यह एक समस्या होगी। विधायिका किसी निर्णय, आदेश या डिक्री को शून्य घोषित नहीं कर सकती। आप केवल आधार ले सकते हैं।
'आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते'
पीठ ने कहा, आप उपयोगकर्ता द्वारा ऐसे वक्फ को कैसे पंजीकृत करेंगे? उनके पास कौन से दस्तावेज होंगे? इससे कुछ पूर्ववत हो जाएगा। हां, कुछ दुरुपयोग है। लेकिन वास्तविक भी हैं। मैंने प्रिवी काउंसिल के फैसलों को भी पढ़ा है। उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को मान्यता दी गई है। अदालत ने सुनवाई के दौरान साफ किया कि विधायिका किसी निर्णय, आदेश या डिक्री को शून्य घोषित नहीं कर सकती। आप केवल आधार ले सकते हैं। इस पर सरकार के वकील मेहता ने कहा कि मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग वक्फ अधिनियम के तहत शासित नहीं होना चाहता।

इस पर पीठ ने मेहता से पूछा, ‘क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे?   पीठ ने कहा, आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते।

एसजी ने दो हफ्ते का समय मांगा
इससे बाद केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट चाहे तो इस मामले की रोजाना सुनवाई कर सकता है। सीजेआई खन्ना ने कहा कि आमतौर पर हम इस तरह के अंतरिम आदेश पारित नहीं करते हैं, लेकिन यह एक अपवाद है। 

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