आतंक के नौ ठिकाने: आगे डॉक्टर-पीछे आतंकी; जहां से दहशतगर्द सिर उठा रहा थे, भारत ने उन्हीं जगहों को कुचला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिषेक दीक्षित Updated Wed, 07 May 2025 08:03 PM ISTOperation Sindoor and 9 Terror Sites Everything You Want To Know: ऑपरेशन सिंदूर के तहत सशस्त्र बलों ने सटीक निशाना साधने वाली रक्षा प्रणालियों के जरिए नौ आतंकी ठिकानों पर 25 मिसाइलें दागीं। इन नौ आतंकी ठिकानों पर प्रहार कितना जरूरी था और इनका आतंकी सरगनाओं से क्या कनेक्शन था? पढ़ें...

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाते हुए देश के सशस्त्र बलों ने 6 से 7 मई की दरमियानी रात को 1:05 बजे से लेकर 1:30 बजे तक ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। 25 मिनट के इस ऑपरेशन में 24 मिसाइलों के जरिए नौ आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया गया। इन नौ ठिकानों में से पांच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में थे, वहीं चार पाकिस्तान में थे। इन ठिकानों में आतंकियों को भर्ती किया जाता था। उन्हें प्रशिक्षित किया जाता था। उनके दिमाग में जहर भरा जाता था। 

 
कंधार से पहलगाम तक का बदला
भारतीय सशस्त्र बलों ने पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार पर आतंकियों के ऐसे नौ शिविरों को नष्ट किया, जहां से पिछले 25 साल में अलग-अलग हमलों को अंजाम देने की साजिश रची गई। भारत का यह प्रतिशोध इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 25 साल पहले यानी 1999 में कंधार विमान अपहरण के बाद यात्रियों के बदले रिहा किए गए आतंकी जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय भी ध्वस्त कर दिया गया है। मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज सईद के संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सबसे अहम और बड़ा आतंकी शिविर भी तबाह हो चुका है। वहीं, पहलगाम में हमला करने आए आतंकियों ने जहां प्रशिक्षण लिया था, वह भी नेस्तनाबूद किया जा चुका है।
अस्पताल-स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में चल रहे थे तीन कैम्प
पीओके के मुजफ्फराबाद में मौजूद मरकज सैयदना बिलाल कैम्प और पाकिस्तान के सियालकोट स्थित सरजल कैम्प और महमूना जोया कैम्प, ये ऐसे तीन ठिकाने थे, जो अस्पताल-स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में चल रहे थे। किसी को शक न हो, इसके लिए यहां कुछ समय इलाज होता था, बाकी समय आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता था। आगे के कमरों में डॉक्टर मौजूद रहते थे और परदे के पीछे आतंकी।ऑपरेशन सिंदूर में यह खास ध्यान रखा गया कि पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों, रिहाइशी इलाकों और आम नागरिकों को नुकसान न पहुंचे। इस पराक्रम के तहत नष्ट किए गए आतंकी ठिकानों के बारे में बारी-बारी से जानते हैं... 
 

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर स्थित पांच आतंकी ठिकाने

1. सवाई नाला कैम्प, मुजफ्फराबाद, पीओके
कहां: नियंत्रण रेखा से 30 किमी दूर।
किसका कैम्प: लश्कर-ए-तैयबा।

2024 में सोनगर्म और गुलमर्ग में हुए आतंकी हमलों के साथ-साथ पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को पर्यटकों पर हुए हमले को अंजाम देने आए आतंकियों ने इसी शिविर में प्रशिक्षण लिया था। यह आतंकी शिविर 2000 में शुरू हुआ था। पाकिस्तान की फौज और आईएसआई के अफसर अक्सर यहां आते थे। 

हाफिज सईद यहां आया करता था 
लश्कर-ए-तैयबा का सरगना हाफिज सईद यहां पर नए आतंकियों का स्वागत करने के लिए आता था। यहां पर फायरिंग रेंज और ट्रेनिंग ग्राउंड बनाया गया था। यहां आतंकियों को जीपीएस चलाने, राइफल चलाने, ग्रेनेड फेंकने का प्रशिक्षण दिया जाता था। अजमल कसाब ने भी यहां कुछ समय ट्रेनिंग ली थी। यहां पर प्रशिक्षण की सुविधाएं बढ़ाने के लिए नया निर्माण किया जा रहा था। 

2. मरकज सैयदना बिलाल कैम्प, मुजफ्फराबाद, पीओके
किसका कैम्प: जैश-ए-मोहम्मद।
यहां हथियार, विस्फोटक रखे जाते थे। यहां आतंकियों को घने जंगलों में जिंदा रहने का प्रशिक्षण दिया जाता था। पाकिस्तानी सेना का स्पेशल सर्विसेस ग्रुप यहां पर आतंकियों को ट्रेनिंग देने आता था। यहां पर आतंकी शिविर हिजामा केंद्र की आड़ में चलाया जा रहा था। इस केंद्र में मेडिकल थैरेपी दी जाती थी। जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कराने से पहले आतंकियों को यहां पर रखा जाता था। 

3. गुलपुर कैम्प, कोटली, पीओके
कहां: नियंत्रण रेखा से 30 किमी दूर।
किसका कैम्प: लश्कर-ए-तैयबा।

राजौरी और पुंछ में सक्रिय आतंकी इसी कैम्प से प्रशिक्षण प्राप्त करते थे। पुंछ में 20 अप्रैल 2023 को हुए हमले और रियासी में 9 जून 2024 को तीर्थयात्रियों पर हमला करने आए आतंकियों ने भी यहीं से ट्रेनिंग ली थी। 

4. बरनाला कैम्प, भीमबेर, पीओके
कहां: नियंत्रण रेखा से नौ किमी दूर।
किसका कैम्प: लश्कर-ए-तैयबा।

यहां हथियार, आईईडी रखे जाते थे। आतंकियों को घने जंगलों में जिंदा रहने का प्रशिक्षण दिया जाता था। यहां एक बार में 100 से ज्यादा आतंकी रुक सकते थे।
5. अब्बास कैम्प, कोटली, पीओके
कहां: नियंत्रण रेखा से 13 किमी दूर।
किसका कैम्प: लश्कर-ए-तैयबा/जैश-ए-मोहम्मद

यहां पर लश्कर के फिदायीन दस्ते तैयार किए जाते थे। एक बार में 15 आतंकियों को प्रशिक्षण देने लायक जगह थी। माना जाता है कि जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी कारी जरार भी यहां आता था। पुंछ और राजौरी सेक्टर में घुसपैठ के लिए यहीं से आतंकी तैयार होते थे।

पाकिस्तान के अंदर मौजूद चार आतंकी ठिकाने

6. सरजल कैम्प, सियालकोट, पाकिस्तान
कहां: अंतरराष्ट्रीय सीमा से छह किमी दूर।
किसका कैम्प: जैश-ए-मोहम्मद।
मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों की जिन आतंकियों ने हत्या की, उन्होंने यहीं ट्रेनिंग हासिल की थी। जैश का आतंकी अब्दुल रउफ असगर इस कैम्प को चलाता था। यहीं पर आतंकियों को सुरंगें खोदना सिखाया जाता था। यहीं से आतंकी ड्रोन के जरिए हथियार और नशे की खेप भारत में भेज रहे थे। अंतरराष्ट्रीय सीमा स्थित अरनिया और जम्मू सेक्टर में जो भी सुरंगें घुसपैठ के लिए बनाई जाती थीं, उनमें इसी शिविर के आतंकियों का हाथ होता था। यह तरीका हमास से मिलता-जुलता है। इस तरह के खुफिया इनपुट भी हैं कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों और हमास के आकाओं के बीच मुलाकातें हुई थीं।
आगे डॉक्टर, परदे के पीछे आतंकी, खालिस्तानी आतंकियों को भी दिया प्रशिक्षण
यहां आतंकी शिविर को एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में चलाया जा रहा था। शुरुआती छह-सात कमरों का इस्तेमाल डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ करता था। वहीं, पार्किंग एरिया के पास के दो क्वार्टर का इस्तेमाल आतंकियों के लिए होता था। मई 2014 में पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर इसी शिविर से जुड़े आतंकी मोहम्मद अदनान अली डॉक्टर ने खालिस्तान टाइगर फोर्स के एक ऑपरेटिव को थाईलैंड जाकर पैराग्लाइडिंग का प्रशिक्षण दिया था।
7. महमूना जोया कैम्प, सियालकोट, पाकिस्तान
कहां: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 12 से 18 किमी दूर।
किसका कैम्प: हिजबुल मुजाहिदीन।

यहीं से प्रशिक्षण लेने के बाद आतंकी जम्मू और कठुआ में घुसपैठ करते हैं। पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले की साजिश यहीं रची गई थी। यह कैम्प एक स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में चल रहा था। जम्मू में आतंकी हमलों को अंजाम देने वाला इरफान टांडा इस कैम्प को चलाता था। तीन कमरों के परिसर में यहां आतंकी शिविर चल रहा था। आतंकी यहां प्रशिक्षण लेते थे और रहने के लिए पास में मौजूद अस्पताल के परिसर का इस्तेमाल करते थे।
8. मरकज तैयबा कैम्प, मुरीदके, पाकिस्तान
कहां: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18 से 25 किमी दूर।
किसका कैम्प: लश्कर-ए-तैयबा।

पाकिस्तान के अंदर मौजूद सबसे बड़े आतंकी ठिकानों में से एक। 2008 के 26/11 मुंबई हमलों को अंजाम देने आए आतंकियों ने यहीं प्रशिक्षण लिया था। अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी यहीं पर ट्रेनिंग दी गई थी, जिसे दौरा-ए-रिब्बत कहा जाता है। तहव्वुर राणा भी यहां पर आया था, जिसे अब अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया जा चुका है। यहां पर चार मिसाइलें दागी गईं। अल कायदा के सरगना आतंकी ओसामा बिन लादेन ने यहां पर एक गेस्ट हाउस बनाने के लिए 10 लाख पाकिस्तानी रुपये दान में दिए थे। लश्कर यहां पर आतंकियों की भर्ती दो हफ्ते का कोर्स पढ़ाता था, जिसमें नए आतंकियों का ब्रेनवॉश किया जाता था।
2000 में शुरुआत हुई
मरकज तैयबा की शुरुआत 2000 में हुई थी। यह 82 एकड़ में फैला है। लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के आतंकी यहां पर नियमित तौर पर प्रशिक्षण लेने आते थे। इसी मरकज में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी सरगना आमिर हमजा, अब्दुल रहमान आबिद, जफर इकबाल रह रहे थे। लश्कर का प्रमुख हाफिज सईद और उसका कमांडर जकीउर रहमान लखवी भी यहीं आकर रहा करता था।
9. मरकज सुभानअल्लाह, बहावलपुर, पाकिस्तान
कहां: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किमी दूर।
किसका कैम्प: जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय।

यहां पर लोगों को भड़काकर उन्हें आतंकी बनाया जाता था। भर्ती के बाद उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता था। आतंकी सरगना अक्सर यहां आते थे। फरवरी 2019 के पुलवामा हमले की साजिश यहीं से रची गई थी। इसी परिसर में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर और उसके भाई असगर के घर भी थे। मसूद अजहर वही आतंकी है, जिसे 1999 के कंधार विमान अपहरण मामले के बाद यात्रियों की रिहाई के बदले छोड़ना पड़ा था। बाद में इसने जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया।
दो साल बाद 2024 में यहां आया था मसूद अजहर
इस मरकज सुभानअल्लाह में जैश के सरगना मसूद अजहर के भाई और ज्यादातर रिश्तेदार रहते थे। जैश की तरफ से खाड़ी और अफ्रीका के देशों के जरिए पैसे की उगाही की गई थी। उसी पैसे से यहां शिविर बनाया गया था और यह 2015 से सक्रिय था। यहां पर आतंकियों के लिए जिम बनाया गया था। उन्हें तैराकी सिखाने के लिए स्वीमिंग पूल भी था। आतंकियों को घुड़सवारी भी सिखाई जाती थी। 30 नवंबर 2024 को मसूद अजहर ने दो साल बाद यहां पर जैश के आतंकियों को संबोधित किया था। 

(जानकारी आधिकारिक सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसियों द्वारा जारी खबरों के मुताबिक)


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