राजधानी के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल करने की भी करेंगे मांग
भोपाल। एक बार फिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का नाम भी बदलने के लिए आवाज उठने लगी है। यह आवाज उठाई है भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने। उन्होंने कहा कि भोपाल के विलीनीकरण आंदोलन और इतिहास को स्कूल के हिंदी के कोर्स में शामिल करने की मांग करेंगे।
सांसद आलोक शर्मा ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि भोपाल की संस्कृति और स्वाभिमान को नई पहचान मिलना चाहिए। सांसद शर्मा ने कहा कि अब झीलों का यह शहर भोपाल के नवाबों से नहीं, अपनी पहचान से पहचाना जाए। उन्होंने कहा कि भोपाल की संस्कृति और स्वाभिमान को नई पहचान मिले। सांसद शर्मा सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर तीन स्तरीय पदयात्राओं के बारे में जानकारी देने के लिए मीडिया से बात कर रहे थे। सांसद ने कहा कि वे भोपाल के विलीनीकरण आंदोलन और इतिहास को स्कूल के हिंदी के कोर्स में शामिल करने की मांग करेंगे।
उन्होंने कहा कि भोपाल की आजादी में सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान को भी हमें भूलना नहीं चाहिए। 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो चुका था, लेकिन हमारा भोपाल आजाद नहीं हुआ था। भोपाल रियासत के तत्कालीन नवाब हमीदुल्लाह भोपाल का विलय भारत में नहीं करना चाहता था। तब तत्कालीन स्वतंत्र भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने नवाब हमीदुल्लाह को चेताया। तब जाकर नवाब हमीदुल्लाह राजी हुआ और 1 जून 1949 को हमारा भोपाल नवाब की गुलामी से आजाद हुआ। गौरतलब है कि इससे पहले भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर किया जा चुका है।