Bhopal News: वेटलैण्ड संरक्षण नियमों का पालन नहीं, लापरवाही पर एनजीटी नाराज, भोपाल ननि और कलेक्टर को फटकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Thu, 13 Nov 2025 09:44 AM IST

भोपाल की भोज वेटलैण्ड के संरक्षण नियमों में लापरवाही पर एनजीटी ने नगर निगम और कलेक्टर को फटकार लगाई है। अधिकरण ने अवैध निर्माण हटाने और झील क्षेत्र की निगरानी खुद कलेक्टर से करने के निर्देश दिए हैं।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की भोपाल स्थित केंद्रीय पीठ ने भोज वेटलैण्ड (भोपाल वेटलैण्ड) के संरक्षण नियमों में लापरवाही बरतने पर भोपाल नगर निगम और कलेक्टर को कड़ी फटकार लगाई है। यह झील अंतरराष्ट्रीय महत्व की रामसर साइट है और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र मानी जाती है। यह मामला पर्यावरण कार्यकर्ता राशिद नूर खान द्वारा दायर किया गया था, जिनकी ओर से अधिवक्ता हर्षवर्धन तिवारी ने पक्ष रखा। सुनवाई न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य सुधीर कुमार चतुर्वेदी की पीठ ने की। अधिकरण ने भोपाल कलेक्टर को आदेश दिया कि वे इस पूरी कार्रवाई की व्यक्तिगत निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि झील क्षेत्र से सभी अवैध कब्जे और निर्माण हटाए जाएं। यह मामला अब 17 दिसंबर 2025 को अगली सुनवाई के लिए तय किया गया है। तब तक नगर निगम और कलेक्टर को अपनी अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हर्षवर्धन तिवारी ने कहा कि यह आदेश भोपाल की झीलों की रक्षा और पर्यावरणीय न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि इससे भोज वेटलैण्ड जैसी अमूल्य प्राकृतिक धरोहर को निजी स्वार्थों और अवैध शहरी विस्तार से बचाया जा सकेगा।                                                                                                                                                                                               अवैध निर्माण और गंदे पानी से बिगड़ रहा पर्यावरण

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि भोज वेटलैण्ड क्षेत्र में अवैध निर्माण, अतिक्रमण और गंदे पानी का प्रवाह लगातार जारी है। यह न केवल पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी की भी अनदेखी है। पीठ ने कहा कि 7 अक्टूबर 2025 को दिए गए आदेश के बाद भी अतिक्रमण हटाने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। नगर निगम ने बताया कि 38 अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन आगे की कार्यवाही अभी बाकी है। इस पर एनजीटी ने नाराजगी जताई।                                                               संयुक्त निरीक्षण और सख्त कार्रवाई के आदेश
एनजीटी ने निर्देश दिया कि भोपाल नगर निगम और याचिकाकर्ता मिलकर संयुक्त निरीक्षण करें और झील के आसपास सभी अवैध निर्माणों की पहचान करें। साथ ही, अतिक्रमणकारियों और लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। पीठ ने याद दिलाया कि राज्य सरकार की अधिसूचना (16 मार्च 2022) के अनुसार झील की सीमाएं और बफर जोन तय हैं। झील का कुल क्षेत्रफल 3946.33 हेक्टेयर, जिसमें ऊपरी झील 3872.43 और निचली झील 73.90 हेक्टेयर है। शहरी क्षेत्र की ओर 50 मीटर, ग्रामीण क्षेत्र की ओर 250 मीटर बफर जोन निर्धारित है। कोलांस नदी और प्रमुख जलप्रवाहों के आसपास भी 250 मीटर तक बफर जोन लागू है। पीठ ने कहा कि इन नियमों का उल्लंघन ‘सार्वजनिक न्यास सिद्धांत’ (Doctrine of Public Trust) के खिलाफ है। प्राकृतिक संसाधन जनता की संपत्ति हैं और उन्हें निजी उपयोग के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। 
“कानून लागू करने वाले ही तोड़ेंगे तो रक्षा कौन करेगा?”
एनजीटी ने कहा कि यदि कानून लागू करने वाले ही कानून तोड़ेंगे, तो कानून की रक्षा कौन करेगा?” यह टिप्पणी प्रशासनिक लापरवाही पर तीखी प्रतिक्रिया के रूप में देखी जा रही है। पीठ ने नगर निगम को एक माह के भीतर कार्यवाही प्रतिवेदन (Action Taken Report) पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण और वन विभाग के सहयोग से भोज वेटलैण्ड की पारिस्थितिक स्थिति का आकलन (Ecological Assessment) और शीतकालीन पक्षी गणना (Bird Census) करने को कहा गया है, ताकि झील की स्थिति की निगरानी की जा सके।

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