Asylum Policy: ब्रिटेन की शरण नीति में बड़ा बदलाव; स्थायी निवास के लिए अब 20 साल तक करना पड़ सकता है इंतजार

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन Published by: पवन पांडेय Updated Sun, 16 Nov 2025 10:03 PM IST

UK Asylum Policy: ब्रिटेन अब उन देशों में शामिल होगा जहां सबसे सख्त शरण नीति लागू है। यूरोप में फिलहाल डेनमार्क की शरण नीति सबसे सख्त मानी जाती है, लेकिन वहां भी स्थायी निवास का रास्ता आठ साल में खुलता है, जबकि ब्रिटेन इसे 20 साल तक खींचने वाला है। जानें ब्रिटेन में क्या बदलने वाला है?

ब्रिटेन अपनी शरण प्रणाली में आधुनिक समय का सबसे बड़ा बदलाव करने जा रहा है। नई लेबर सरकार ने साफ कर दिया है कि अब शरण पाने वाले लोगों को स्थायी निवास जल्दी नहीं मिलेगा। पहले जहां पांच साल बाद स्थायी निवास का रास्ता खुल जाता था, अब यह इंतजार बढ़कर 20 साल तक जा सकता है।                                                                                क्या बदलने वाला है?

ब्रिटेन की नई योजना के मुताबिक, शरण का दर्जा अब अस्थायी होगा। हर ढाई साल में यह दर्जा दोबारा जांचा जाएगा। अगर इस दौरान शरणार्थी के अपने देश में हालात सुरक्षित हो जाते हैं, तो उसे वापस भेज दिया जाएगा। कानूनी रास्तों से आने वाले लोगों के लिए भी स्थायी निवास का इंतजार पांच से बढ़ाकर 10 साल किया जाएगा। ब्रिटेन की गृह मंत्री शबाना महमूद ने कहा, 'हमारा सिस्टम नियंत्रण से बाहर है। यह समुदायों पर भारी दबाव डाल रहा है। इसे ठीक करना बेहद जरूरी हो गया है ताकि ब्रिटेन में एक न्यायपूर्ण शरण व्यवस्था बनी रहे।'खुद को संभाल सकते हैं, फिर भी सरकारी मदद क्यों?
सरकार उन लोगों की आवास और वित्तीय सहायता भी बंद करेगी जिन्हें काम करने का अधिकार है और जो खुद खर्च उठा सकते हैं, लेकिन फिर भी सरकारी सहायता ले रहे हैं। महमूद के अनुसार, 'अगर ब्रिटिश नागरिक नियमों का पालन करते हैं, तो दूसरे लोगों के लिए अलग नियम क्यों हों?'                                                                                                                क्यों कर रही है सरकार ये बदलाव?
लेबर सरकार का कहना है, पिछले चार साल में चार लाख लोगों ने ब्रिटेन में शरण मांगी। इनमें से एक लाख से ज्यादा लोग आज टैक्सदाताओं के पैसे से आवास और अन्य सुविधाएं पा रहे हैं। कई शहरों और कस्बों में इसका असर साफ दिख रहा है, असंतोष बढ़ रहा है और राजनीतिक तनाव भी। शबाना महमूद ने कहा, 'गैर-कानूनी प्रवासन हमारे समाज को बांट रहा है। यह एक नैतिक जिम्मेदारी है कि हम इसे ठीक करें।'
विपक्ष की राय और मानवाधिकार संगठनों की चिंता
कई कंजरवेटिव नेताओं ने इसे 'सही दिशा में कदम' बताया। कुछ ने इसे 'काफी सख्त नहीं' कहा। लिबरल डेमोक्रेट्स के नेता एड डेवी ने भी सरकार के प्रयासों को स्वीकार किया और कहा कि 'अव्यवस्था को संभालना जरूरी है।' ब्रिटेन की शरणार्थी परिषद ने इन नीतियों की आलोचना की। उनका कहना है, लोग जान बचाने के लिए भागते हैं, वे 'असाइलम शॉपिंग' नहीं करते। ज्यादातर लोग ब्रिटेन इसलिए आते हैं क्योंकि उनके परिवार यहां रहते हैं या उन्हें अंग्रेजी भाषा की बुनियादी समझ है। इतनी लंबी अनिश्चितता शरणार्थियों की मानसिक स्थिति और भविष्य पर भारी असर डाल सकती है।
 

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