नकली नोटों की पहचान बनी चुनौती, RBI के 12 सिक्योरिटी फीचर्स में से जालसाज आठ को कर चुके हैं क्रैक

हैरानी की बात यह है कि आरबीआई द्वारा निर्धारित 12 सिक्योरिटी फीचर्स में से 8 फीचर्स को जालसाज काफी हद तक क्रैक करने में सफल हो गए हैं, जिससे असली और नकली नोट की पहचान आम लोगों तो क्या पुलिस के लिए कठिन होती जा रही है।

By prashant vyas  Edited By: ADITYA KUMAR   Publish Date: Mon, 17 Nov 2025 10:42:55 PM (IST)
Updated Date: Mon, 17 Nov 2025 10:42:55 PM (IST)
नकली नोटों की पहचान बनी चुनौती, RBI के 12 सिक्योरिटी फीचर्स में से जालसाज आठ को कर चुके हैं क्रैक

नकली नोटों की पहचान बनी चुनौती

नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजधानी में नकली नोटों का चलन पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। बीते दो वर्षों में भोपाल पुलिस ने ऐसे कई गिरोह पकड़े हैं जो महज 8वीं-10वीं तक पढ़ाई करने के बावजूद घरों में बैठे-बैठे नकली नोट छाप रहे थे। हैरानी की बात यह है कि आरबीआई द्वारा निर्धारित 12 सिक्योरिटी फीचर्स में से 8 फीचर्स को जालसाज काफी हद तक क्रैक करने में सफल हो गए हैं, जिससे असली और नकली नोट की पहचान आम लोगों तो क्या पुलिस के लिए कठिन होती जा रही है

छह आरोपितों को किया गिरफ्तार

ऑनलाइन उपलब्ध सस्ती मशीनरी, हाई-रिजाल्यूशन कलर प्रिंटर और विशेष प्रकार का नकली नोट पेपर, स्याही और डाई इन गिरोहों के लिए सबसे बड़ा हथियार बन रहे हैं। पिछले दो वर्षों में पुलिस ने 50, 100, 200 और 500 रुपये तक के नकली नोट बनाने के चार मामलों में छह आरोपितों को गिरफ्तार किया है। ज्यादातर मामलों में आरोपित अपने घरों में प्रिंटर लगाकर नोट छापते थे और फिर छोटे बाजारों, चौराहों और ग्रामीण दुकानदारों के बीच खपाते थे। नकली नोट पकड़ने के बाद जांच में सामने आया है कि अधिकतर मामलों में सामग्री ऑनलाइन आर्डर की गई थी।

नोटों में कुल 12 प्रमुख सिक्योरिटी फीचर्स

विशेष पेपर, गोंद, हॉट स्टंपिंग फोइल, माइक्रो कटिंग ब्लेड से लेकर इंक कार्ट्रिज जैसे कई सामान और आधुनिक मशीनों से फर्जी नोट छापे जा रहे थे। इस 8 सिक्योरिटी फीचर हो रहे एक हद तक कापी आरबीआई के अनुसार भारतीय बैंक नोटों में कुल 12 प्रमुख सिक्योरिटी फीचर्स होते हैं, लेकिन पुलिस जांच में सामने आया कि जालसाज इनमें से 8 फीचर्स को मोटे तौर पर कापी करने में सक्षम हो गए हैं।

  • वाटरमार्क : नोट के सफेद हिस्से पर हल्की छाया वाली गांधी जी की तस्वीर और अंक। नकली गिरोह साधारण डाई से प्रिंट करके मिलती-जुलती छाप बना देते हैं।
  • माइक्रो लेटरिंग : भारत और अंक की बारीक लिखावट। हाई क्वालिटी प्रिंटर से इसकी नकली प्रतिकृति तैयार हो जाती है।
  • माइक्रो लेटरिंग आरबीआइ : इसमें भी आरबीआइ लिखी बारीक लिखावट होती है।
  • इंटैग्लियो प्रिंट : स्पर्श से महसूस होने वाले उभरे अक्षर। नकली नोटों में जालसाज मोटी इंक की लेयर डालकर यह टेक्सचर बनाने की कोशिश करते हैं। हालांकि पूर्ण रुप से उभार नहीं आ पाता, लेकिन मामूली रूप से अक्षर उभरते हैं।
  • लेटेंट इमेज : नोट को तिरछा करने पर दिखने वाला अंक। प्रिंटर आधारित छपाई से इसका सरल संस्करण तैयार किया जा रहा है।
  • सीरियल नंबर पैटर्न: फान्ट मिलते-जुलते और समान सीरियल सीरीज के नंबर जालसाज कापी कर देते हैं।
  • रंग बदलने वाली स्याही : नोट पर आरबीआइ लिखी थ्रेड लगाते हैं, जिस तिरछा करने पर हरे और नीले दो शेड के रंग दिखते हैं।

दो वर्षों में पकड़े गए हैं छह शातिर जालसाज

- 15 नवंबर 2025 को पिपलानी पुलिस ने करोंद क्षेत्र निवासी विवेक सिंह को गिरफ्तार किया। वह आरबीआइ के इन आठ सिक्योरिटी फीचर्स को लगभग कापी कर चुका था। प्रारंभिक तौर पर पुलिस भी उसके तैयार किए फर्जी नोटों को नहीं पहचान सकी थी।

- 4 मई 2025 को निशातपुरा पुलिस ने वाहन चैकिंग के दौरान कोहेफिजा के जाकिर खान को पकड़ा था। वह 50 और 100 के नोट प्रिंट करता था, जिसमें कई सिक्योरिटी फीचर्स को उसने हूबहू कापी किया था और वह पेट्रोल पंप पर अक्सर ये नोट चलाता था।

- 8 मई 2024 को क्राइम ब्रांच पुलिस ने करोंद मंडी के पास से दो जालसाजों को 100 और 200 के नकली नोटों के साथ पकड़ा था। आरोपित विकास बीटेक जबकि विशाल एमबीए कर चुका था। वे लंबे समय से नकली नोट खपा रहे थे। हालांकि पुलिस जांच में उनके द्वारा चलाए जाने वाले नोटों को पहचान लिया गया था। वे रात के समय फर्जी नोट चलाने बाजार में निकलते थे।

- 2023 में कमलानगर पुलिस ने दो जालसाजों को 200 और 500 के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया था। वे बाइवल के स्पेशल पेपर पर कलर प्रिंटर के जरिए नकली नोट छाप रहे थे।

अब तक नहीं पकड़ा जा सका फेक करेंसी से जुड़ा बड़ा लिंक

पुलिस ने बीते वर्षों में नकली नोट छापने वाले कई जालसाजों को पकड़ा है, लेकिन पुलिस की कार्रवाई हर बार सतही स्तर पर रही और किसी भी अपराध में पुलिस फेक करेंसी के किसी भी बड़े लिंक को नहीं पकड़ पाई। आखिर 8-10वीं फेल लोग शातिराना तरीके से कैसे नकली नोट छापते हैं, जो हूबहू असली दिखते हैं। साथ ही महीनों और सालों तक नकली नोट बाजारों में धड़ल्ले से चलते रहते हैं।

पिपलानी में पकड़े गए नकली नोट छापने वाले जालसाज से गहनता से पूछताछ हुई थी। उसने पुस्तक पढ़कर प्रिंटिंग की बारीकियां सीखने और काम के अनुभव के बाद नोट प्रिंटिंग करना बताया था। वहीं पुस्तकें और सामग्री उसके पास से जब्त की गई हैं। ये सभी सामग्री ऑनलाइन खरीदी के लिए उपलब्ध हैं। टीम अभी जांच में जुटी है और इससे जुड़े लिंक की तलाश भी कर रही है। - गौतम सोलंकी, एडिशनल डीसीपी जोन-2


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