मध्य प्रदेश के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कहा है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में पिछले दो वर्षों में राजस्व प्रशासन को पारदर्शी, त्वरित और जनोन्मुखी बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। विभाग द्वारा संचालित राजस्व महाअभियान और तकनीकी नवाचारों से लंबित मामलों का तेजी से निपटान संभव हुआ है और नागरिकों को बड़ी राहत मिली है। मंत्री वर्मा यह जानकारी कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में विभाग की दो वर्ष की उपलब्धियों पर आयोजित प्रेस वार्ता में दे रहे थे।
राजस्व महाअभियान के तीन चरणों के तहत वर्ष 2024-25 में एक करोड़ से अधिक प्रकरणों का त्वरित निराकरण किया गया। मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने 24 जिलों में राजस्व न्यायालयों के लिए समर्पित अधिकारी नियुक्त कर न्यायिक और गैर-न्यायिक कार्यों की नियमित और शीघ्र कार्यवाही सुनिश्चित की। मंत्री ने बताया कि सायबर तहसील के माध्यम से नामांतरण प्रक्रिया पूरी तरह पेपरलेस और फेसलेस कर दी गई है। अब 20 दिनों के भीतर नामांतरण के आदेश व्हाट्सएप और ई-मेल के माध्यम से प्राप्त हो रहे हैं। अब तक 6.26 लाख प्रकरण इसी प्रक्रिया से निराकृत किए जा चुके हैं। इसके अलावा आंशिक खसरा प्रक्रिया को भी ऑनलाइन किया गया है, जिससे लगभग 8 लाख नागरिक प्रतिवर्ष लाभान्वित होंगे।
स्वामित्व योजना के तहत अब तक 39.6 लाख ग्रामीणों को भू-अधिकार पत्र वितरित किए जा चुके हैं, जो योजना के 94 प्रतिशत कार्य के पूर्ण होने को दर्शाता है। मंत्री ने बताया कि जियो फेंस तकनीक और ड्रोन का उपयोग कर त्रुटिरहित फसल गिरदावरी की जा रही है, जिससे किसानों को वास्तविक नुकसान का लाभ समय पर मिल रहा है। वर्ष 2025-26 में बाढ़ और अतिवृष्टि प्रभावित नागरिकों को 2,068.99 करोड़ रुपये की सहायता राशि वितरित की जा चुकी है। भू-अर्जन प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए आरसीएमएस पोर्टल पर एलएएमएस मॉड्यूल विकसित किया गया। पिछले दो वर्षों में 41.68 लाख प्रकरणों में 94 प्रतिशत समय सीमा में निराकृत किए गए। राजस्व संग्रहण में भी प्रगति हुई है, वर्ष 2024-25 में 1048 करोड़ रुपये का संग्रहण किया गया, जबकि वर्ष 2025-26 में लक्ष्य 1000 करोड़ रुपये है।
मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 324 कार्यालय भवन और 261 आवासीय भवनों का निर्माण पूर्ण या प्रगतिशील है। इसके अलावा 5281 पटवारियों और 136 नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई। भू अभिलेख पोर्टल 2.0 के माध्यम से नागरिक अब डिजिटल नक्शा और प्रमाणित प्रतिलिपि मोबाइल एप पर प्राप्त कर सकते हैं। आगामी तीन वर्षों में विभाग विश्वास आधारित डायवर्जन प्रक्रिया, नक्शाविहीन ग्रामों के नक्शे तैयार करने और भू-अर्जन प्रकरणों की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन करने की योजना बना रहा है। ये कदम मध्य प्रदेश में राजस्व प्रशासन को और अधिक पारदर्शी और जनोन्मुखी बनाने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।