ईरान इस समय साल 2022 के 'महसा अमीनी' प्रदर्शनों के बाद के सबसे बड़े नागरिक असंतोष का सामना कर रहा है। सोमवार को ईरान के प्रमुख शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, इसका मुख्य कारण राष्ट्रीय मुद्रा 'रियाल' में आई रिकॉर्ड गिरावट और गहराता आर्थिक संकट है।
इस तनाव की सबसे बड़ी वजह ईरानी रियाल का ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच जाना है। सोमवार को रियाल डॉलर के मुकाबले 14.2 लाख (1.42 million) के स्तर पर आ गया। 2015 के परमाणु समझौते के दौरान डॉलर के मुकाबले रियाल की कीमत लगभग 32,000 थी।
इस आर्थिक गिरावट ने देश में कई गंभीर संकट पैदा कर दिए हैं। महंगाई चरम पर है। दैनिक जरूरतों और खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जिससे मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों का बजट पूरी तरह चरमरा गया है। 21 मार्च से शुरू होने वाले ईरानी नववर्ष में सरकार की ओर से कर बढ़ाने की खबरों ने जनता के गुस्से को और भड़का दिया है। पेट्रोल की कीमतों में हालिया बदलावों ने महंगाई के दबाव को और बढ़ा दिया है, इसका सीधा असर परिवहन और रसद पर पड़ा है।
प्रदर्शनों की शुरुआत राजधानी तेहरान से हुई, लेकिन जल्द ही यह इस्फाइन, शिराज और मशहद जैसे अन्य प्रमुख शहरी केंद्रों तक फैल गई। इस बार के विरोध प्रदर्शनों में सबसे महत्वपूर्ण पहलू व्यापारी वर्ग की भागीदारी है। तेहरान के ऐतिहासिक 'ग्रैंड बाजार' सहित कई महत्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्रों में दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं और हड़ताल पर चले गए। जानकारों के अनुसार, व्यापारियों का यह रुख 1979 की इस्लामी क्रांति के दौरान उनकी भूमिका की याद दिलाता है
आर्थिक मोर्चे पर बढ़ते दबाव का पहला बड़ा राजनीतिक असर ईरान के सेंट्रल बैंक के प्रमुख मोहम्मद रजा फरजीन के इस्तीफे के रूप में सामने आया है। मुद्रा में लगातार आ रही गिरावट और बढ़ते विरोध के बीच उन्होंने अपना पद छोड़ दिया है। तेहरान के कई हिस्सों में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए दंगा रोधी पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार एजेंसियों के अनुसार, सड़कों पर सरकार विरोधी नारे भी सुने गए।
ईरान के राष्ट्रपति मसौद पेजेश्कियान ने पिछली सरकारों की तुलना में कुछ नरम रुख अपनाया है। आधिकारिक समाचार एजेंसी आईआरएनए के अनुसार, उन्होंने आंतरिक मंत्री को प्रदर्शनकारियों की जायज मांगों को सुनने और उनके प्रतिनिधियों के साथ संवाद करने का निर्देश दिया है ताकि समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि जहां 2022 का 'महिला, जीवन, स्वतंत्रता' आंदोलन मुख्य रूप से सामाजिक और नागरिक स्वतंत्रता पर केंद्रित था, वहीं 2025 का यह वर्तमान विद्रोह पूरी तरह से प्रणालीगत आर्थिक विफलता और लंबे समय से जारी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के प्रभाव पर आधारित है। मंगलवार तक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और वैश्विक समुदाय इस क्षेत्र की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता पर कड़ी नजर रखे हुए है।