पीपीपी मॉडल पर खुलेंगे अरूण और उदय स्कूल

संस्कृत भाशा का अध्ययन कराया जाएगा, 53 जिलों में स्कूल खोलने की तैयारी
भोपाल। पाश्चात्य शिक्षा पद्धति पर चल रहे किंडरगार्टन और मांटेसरी स्कूलों को टक्कर देने के लिए सरकार अब प्रदेश में भारतीय लोकाचार को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित करने वाले अरूण और उदय स्कूल खोलने की तैयारी कर रही है। इन स्कूलों में संस्कृत को ’बीज भाषा’ के रूप में पढ़ाया जाएगा। राज्य के 53 जिलों में इसकी शुरूआत करने की तैयारी की जा रही है।
यह परियोजना एमपी स्टेट ओपन स्कूल, लोक शिक्षण निदेशालय और महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की संयुक्त पहल द्वारा की जा रही है। राजधानी भोपाल के शिवाजी नगर स्थित शासकीय सरोजिनी नायडू स्कूल परिसर में अरुण-उदय स्कूल का एक प्रोटोटाइप स्थापित किया गया है। अरुण और उदय स्कूल पीपीपी मॉडल पर खोले जाएंगे। इन स्कूलों में बच्चों को संस्कृत का अध्ययन शुरू से ही कराया जाएगा। कक्षाएं अरुण और उदय नाम से होंगी।  ’अरुण’ (एलकेजी या केजी 1 के बराबर) और ’उदय’ (यूकेजी या केजी 2 के बराबर) चरणों के नाम पर रखा गया है। इन स्कूलों में कोई किताब नहीं, कहानी, कठपुतली, ध्यान और खेल के जरिए पढ़ाई कराई जाएगी। स्कूल सप्ताह के दिनों में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक संचालित किए जाएंगे। कोई पाठ्यपुस्तक नहीं होगी और सीखने का तरीका पूरी तरह से गतिविधि-आधारित होगा। 3-5 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की स्वाभाविक सीखने की क्षमता का दोहन करने के लिए संस्कृत भाशा का अध्ययन कराया जाएगा। वर्तमान में राजधानी भोपाल के भोपाल के सरोजिनी नायडू स्कूल में इस शिक्षा पर आधारित स्कूल चलाया जा रहा है। इसे मॉडल स्कूल के रूप में देखा गया है।
चार देशी, चार विदेशी  भाषाओं   की पढ़ाई
संस्कृत को ’बीज भाषा’ बनाकर पढ़ाई कराई जाएगी। कक्षा पांचवीं तक 4 देशी और 4 विदेशी भाषाओं की पढ़ाई भी कराई जाने की तैयारी की गई है। संस्कृत जानने वाला दुनिया की कोई भी भाषा सीख सकता है। इसी विचार पर आधारित ये स्कूल रहेंगे। कक्षा पांचवीं के बाद अन्य संबद्ध स्कूलों में प्रवेश दिया जा सकेगा।
स्कूलों में रहेगा चिड़ियाघर, औशधीय पौधों की नर्सरी
इन स्कूलों में रंग-बिरंगे फर्नीचर, दीवारों पर भित्ति चित्र, खरगोशों, कबूतरों और विदेशी पक्षियों वाला एक छोटा चिड़ियाघर, एक ध्यान उद्यान, औषधीय पौधों की एक नर्सरी, एक मछलीघर और एक छोटा जंगल भी रहेगा। स्कूल में कहानी कोने और कठपुतली कोने जैसे इंटरैक्टिव शिक्षण क्षेत्र भी शामिल किए जाएंगे।

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