भोपाल। राहत आयुक्त ने प्रदेश में ओलावृश्टि, बाढ़, अकाल और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए किए गए खर्च का ब्यौरा आठ विभागों से मांगा है। आयुक्त ने विभागों को आवंटित की गई राशि और राशि में से कितनी खर्च की उसकी जानकारी मांगी है। साथ ही यह पूछा है कि अगर राशि ष्शेश रही है तो कितनी राशि सरेंडर की है।
राहत आयुक्त ने यह जानकारी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और विभागाध्यक्षों से तलब की है। साथ ही यह भी पूछा गया है कि उन्हें आवंटित की गई राशि में से कितनी राशि खर्च नहीं हो सकी और सरेंडर की गई है। राहत आयुक्त ने निर्देश दिए हैं कि हर योजना में खर्च की गई राशि का अलग-अलग विवरण दिया जाए। अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव , नर्मदा घाटी विकास, गृह विभाग, जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, लोक निर्माण विभाग, लोक सेवा प्रबंधन विभाग और सचिव, गृह एवं समन्वयक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। यह पत्र राहत आयुक्त कार्यालय के संयुक्त संचालक द्वारा जारी किया गया है। खर्च-सरेंडर की राशि की जानकारी देना होगा पत्र में कहा गया है कि 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक की अवधि में संबंधित विभागों को राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा कितनी राशि ट्रांसफर की गई, इस राशि में से कितनी राशि का उपयोग कार्यों में किया गया और कितनी राशि सरेंडर की गई, इसकी जानकारी दी जाए। साथ ही प्रत्येक योजना के लिए अलग-अलग उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट) प्रस्तुत करने को कहा गया है। बताया जा रहा है कि यह राशि राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा मिटिगेशन फंड, आपदा से बचाव की तैयारी और कैपेसिटी बिल्डिंग जैसे कार्यों के लिए उपयोग की जा सकती है।
इन विभागों से मांगी जानकारी
महानिदेशक, होमगार्ड एवं नागरिक सुरक्षा (आपदा प्रबंधन), आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं, कार्यपालन निदेशक, राज्य लोक सेवा अभिकरण, प्रमुख अभियंता, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग, प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग, संचालक, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण।