Khabron Ke Khiladi: क्या युद्ध है पाकिस्तान का इलाज, पहलगाम में कैसे हुई चूक? विश्लेषकों ने बताया हर पहलू

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Sat, 26 Apr 2025 09:12 PM IST
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक पर्यटन स्थल के करीब हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कूटनीतिक कदम उठाए हैं। वहीं, कुछ और सख्त नीतियां अपनाने की बात कही जा रही है। इसी मुद्दे पर इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने कई कूटनीतिक कदम उठाए हैं। इस आतंकी हमले के बाद देश में गुस्सा है। हर तरफ पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बीच युद्ध की मांग भी उठ रही है। वहीं, दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि आखिर इतनी बड़ी चूक हुई कैसे, जिसकी वजह से आतंकी इस घटना को अंजाम देने में सफल रहे? इन्हीं सवालों पर इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री, समीर चौगांवकर, सुनील शुक्ल, पूर्णिमा त्रिपाठी, हर्षवर्धन त्रिपाठी और अवधेश कुमार मौजूद रहे।
पूर्णिमा त्रिपाठी: यह एक्शन का समय है। पूरा देश एक साथ खड़ा हुआ है। सवाल यह है कि इतने संवेदनशील इलाके में आतंकी इतनी देर तक इस तरह की बर्बरता करते रहे, लेकिन सुरक्षाकर्मी कहां थे? इतनी बड़ी घटना के बाद जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। अगर जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है तो इसकी सुरक्षा की सीधी जिम्मेदारी एलजी और केंद्र सरकार की होती है। सोशल मीडिया पर सिर्फ नरेटिव बनाने की जगह ठोस कार्रवाई करनी होगी। 
हर्षवर्धन त्रिपाठी: इस मामले में किसी भी दल ने कोई राजनीतिक बयानबाजी नहीं की। ऐसे मामलों में राजनीति होनी भी नहीं चाहिए। सिंधु जल समझौते के रद्द होने को हम सामान्य सिंबल की तरह नहीं देखना चाहिए। 2018 में पाकुड़ में हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बनना शुरू हुआ और वो लगभग पूरा होने को है। इसी तरह के कम से कम तीन प्रोजेक्ट हैं। 2015 से सरकार ने इस पर बहुत गंभीरता से काम किया है। पाकिस्तान को जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिलता था वो मिलना बंद है। हमें अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना होगा। हमारे जो लोग हैं जिनकी जान गई है उसका बदला जरूर लेना चाहिए। 
सुनील शुक्ल: इस घटना का जो भी प्रतिकार हो वो होना ही चाहिए। सरकार को जो करना चाहिए वो करे, लेकिन सवाल ये हैं आखिर ये घटना हुई कैसे? आतंकी आ कैसे गए? जब वो आ गए तो उनका प्रतिकार करने के लिए वहां कोई सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं था? सरकार के स्तर पर अपनी समस्या को समझान होगा और अपनी गलती को स्वीकार करना होगा। जब तक आप अपनी गलती नहीं मानेंगे तब तक सही कदम नहीं उठाए जा सकेंगे। 
समीर चौगांवकर: यह घटना यह बता रही है कि पाकिस्तान के लोगों में हिंदू धर्म के प्रति किस तरह से जहर भरा जा रहा है। सरकार की बात करें तो इस मामले में सरकार ने त्वरित कार्रवाई की है। जो फैसले तत्काल लिए जा सकते थे वो लिए गए। जहां तक युद्ध की बात है तो मुझे लगता है कि एकदम से युद्ध की ओर जाना ये देश के लिए ठीक नहीं होगा। मुझे लगता है कि आने वाले समय में प्रधानमंत्री इस पर उचित कार्रवाई करेंगे। जहां तक युद्ध की बात है तो मुझे लगता है कि यह अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
अवधेश कुमार: 2019 से 2024 के बीच आतंकी घटनाओं में 70 से 75 फीसदी की कमी आई है। इस समय की परिस्थिति की बात करें तो किसी भी कार्रवाई से पहले उसका लक्ष्य तय करना होता है। जम्मू कश्मीर की घटना से पहले पाकिस्तान के जनरल ने जो बयान दे रहे थे उससे जाहिर है कि ये बोलने से पहले इसकी तैयारी की गई थी। ऐसी परिस्थिति में युद्ध भी होना है तो युद्ध भी होना चाहिए, लेकिन किसी भी युद्ध से पहले हमें तैयारी करनी होगी। 
विनोद अग्निहोत्री: यह घटना इतनी शर्मनाक है कि इसके बारे में कोई दूसरी बात नहीं हो सकती है। जहां तक चूक की बात है तो कश्मीर में पिछले पांच-छह साल में बहुत विकास हुआ है इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन इसका ढिंढोरा भी बहुत पीटा गया। इन सबके बीच यह अति आत्मविश्वास का भी नतीजा है। सरकार पर हमें भरोसा रखना चाहिए। सरकार किसी पार्टी की नहीं, बल्कि भारत की है। खुद सरकार ने चूक मानी है। अगर चूक मानी गई है तो इसके जिम्मेदारों को भी सामने लाना चाहिए। अगर 26/11 के लिए शिवराज पाटिल जिम्मेदार बताए गए थे तो इस चूक के लिए भी जिम्मेदार तय करने होंगे।

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