न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by:
ज्योति भास्कर Updated Mon, 17 Nov 2025 05:47 PM IST
बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT-BD) ने अपदस्थ प्रधानमंत्री को मौत की सजा सुनाई है। इस फैसले के बाद बांग्लादेश ने भारत से कहा है कि शेख हसीना को तत्काल प्रत्यर्पित किया जाए। भारत ने इस पर जवाब भी दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत शांति, लोकतंत्र और स्थिरता सहित बांग्लादेश के लोगों के सर्वोत्तम हितों के लिए प्रतिबद्ध है।

बांग्लादेश में शेख हसीना को सुनाई गई सजा के बाद बयान - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
विस्तार
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम बांग्लादेश के लोगों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से संपर्क बनाए रखेंगे।' विदेश मंत्रालय ने ये प्रतिक्रिया बांग्लादेश की तरफ से आए उस बयान के बाद दी जिसमें पड़ोसी देश ने कहा है कि शेख हसीना को सुनाई गई सजा के बाद उन्हें तत्काल प्रत्यर्पित करना 'भारत का अनिवार्य कर्तव्य' है। बांग्लादेश ने मौत की सजा का फैसला पारित होने के बाद शेख हसीना और उनके सहयोगी देश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को तत्काल प्रत्यर्पित करने की मांग की
बांग्लादेश की परिस्थितियों पर भारत की पैनी नजर
गौरतलब है कि सोमवार को जब न्यायाधिकरण में तीन जजों की पीठ ने जब सजा-ए-मौत का एलान किया तो उसके बाद पड़ोसी देश में हसीना के समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा। बांग्लादेश में उपजे तनाव के बीच विदेश मंत्रालय ने कहा, 'पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के संबंध में बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) से पारित फैसले का भारत ने संज्ञान लिया है। हम शांति, लोकतंत्र और स्थिरता के पक्षधर हैं।' विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'भारत बांग्लादेश के नागरिकों के सर्वोत्तम हितों के लिए भी प्रतिबद्ध है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने अपनी अपील में क्या कहा?
इससे पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और देश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को तुरंत प्रत्यर्पित करने का आग्रह किया। पड़ोसी देश की सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम भारत सरकार से इन दोनों दोषियों को तुरंत बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंपने की अपील करते हैं। बांग्लादेश और भारत के बीच मौजूदा द्विपक्षीय प्रत्यर्पण समझौता दोनों दोषियों के प्रत्यर्पण को नई दिल्ली की अनिवार्य जिम्मेदारी बनाता है। पड़ोसी देश के विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि मानवता के विरुद्ध अपराध के दोषियों को शरण देना न्याय की अवहेलना के अलावा दोस्ताना रिश्ते के खिलाफ किया गया कृत्य माना जाएगा।
दिसंबर में भी प्रत्यर्पण की अपील कर चुका है बांग्लादेश
बता दें कि शेख हसीना पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर भड़के विरोध प्रदर्शनों के बाद से भारत में ही रह रही हैं। अदालत उन्हें भगोड़ा घोषित कर चुकी है। माना जाता है कि उनके सहयोगी असदुज्जमां खान भी भारत में ही हैं। पिछले साल दिसंबर में भी बांग्लादेश ने भारत को एक पत्र (note verbale) भेजकर हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था। भारत ने औपचारिक राजनयिक पत्र मिलने की पुष्टि तो की, लेकिन इस पर कार्रवाई को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।


खालिदा जिया और प्रधानमंत्री शेख हसीना (फाइल) - फोटो : ani
एक अन्य पूर्व प्रधानमंत्री ने भी किया सजा-ए-मौत का समर्थन
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने भी हसीना को 'भगोड़ा' बताते हुए शरण देने के लिए भारत की आलोचना की। डेली स्टार अखबार ने बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी के हवाले से कहा, 'भारत ने एक भगोड़े अपराधी को शरण दी है। वह उसे बांग्लादेश के खिलाफ़ ,साजिश करने का मौका दे रहा है। यह भारत का क़ानूनी व्यवहार नहीं है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।' बीएनपी नेता रिजवी ने कहा, भारत जैसा देश, जो लोकतंत्र को बढ़ावा देता है, जिसकी न्यायपालिका स्वतंत्र है, उसे हसीना को गलत गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
बांग्लादेश की राजनीति में दक्षिणपंथी पार्टी- जमात-ए-इस्लामी ने भी भारत से हसीना को प्रत्यर्पित करने की अपील की। जमात के महासचिव मिया गुलाम पोरवार ने हसीना के प्रत्यर्पण का पर कहा, 'अगर कोई अच्छे पड़ोसी की तरह व्यवहार करने का दावा करता है, मैत्रीपूर्ण संबंध रखने को इच्छुक है, तो यह उसकी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।' उन्होंने आगे कहा, 'हम मांग करते हैं कि उन्हें बांग्लादेश वापस भेजा जाए।'

शेख हसीना और उनके बेटे के खिलाफ गिरफ्तारी का नया वारंट जारी - फोटो : ANI
ICT-BD ने फैसले में लिखा- निहत्थे नागरिकों पर की गई समन्वित हिंसा
न्यायाधिकरण ने सोमवार को पारित अपने फैसले में कहा, पिछले साल के छात्र विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए सजाएं सुनाई गई हैं। न्यायाधिकरण ने कहा, 'ये फैसला निहत्थे नागरिकों पर की गई समन्वित हिंसा की गंभीरता' का सबूत है। बता दें कि ट्रिब्यूनल ने दोनों को उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई। हसीना और असदुज्जमां खान कमाल के अलावा पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी इसी मामले में पांच साल के कारावास की सजा सुनाई। मामून हिरासत में हैं। उन्होंने मुकदमे की कार्यवाही के दौरान अपना अपराध स्वीकार कर सरकारी गवाह बनने का निर्णय ले लिया। इस पर न्यायाधिकरण की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, उनके सहयोग से अभियोजन पक्ष को दोष सिद्ध करने में 'काफ़ी मदद' मिली।