भोपाल। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गड़बड़ी को रोकने के लिए विभाग अब उपभोक्ता परिवारों की फेस आईडी बनाने की तैयारी की जा रही है। यह योजना अभी शुरुआती चरण में है और ई-केवायसी का कार्य पूरा होने के बाद फेस आईडी ऐप को लेकर प्रक्रिया तेज होगी।
प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गड़बड़ी की कई शिकायतें प्रदेश भर से मिलती रही है। इन शिकायतों को रोकने के लिए अब खाद्य विभाग द्वारा कसावट की जा रही है। इसके चलते विभाग ने उपभोक्ता परिवार की फेस आईडी बनाने की योजना पर काम करना शुरू किया है। अधिकारियों का कहना है कि ई-केवायसी के बाद सभी हितग्राहियों का डाटाबेस विभाग के पास रहेगा तो फेस आईडी बनाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। फेस आईडी एप के लिए भारत सरकार से सब्सक्रिप्शन लेकर काम किया जाएगा। यह प्रक्रिया आने वाले कुछ महीनों में शुरू हो जाएगी।
अधिकारियों का मानना है कि फेस आईडी बनने के बाद हितग्राहियों को किसी पर्ची या अन्य दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। आधार से लिंक उनका चेहरा ही उनकी पहचान हो सकेगी। चेहरे से पहचान होने पर फर्जी राशन कार्डों पर अंकुश लगेगा और डुप्लीकेट होने की संभावना खत्म हो जाएगी। राशन वितरण में पारदर्शिता होगी और पहचान पुख्ता होने पर डीलर एवं उपभोक्ता के बीच की मिलीभगत की शिकायतों पर भी लगाम लगेगी। नकली आधार नंबर या फिंगरप्रिंट के जरिए किसी और का राशन किसी दूसरे उपभोक्ता को देना संभव नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में फिलहाल लगभग 25 हजार दुकानों के माध्यम से प्रतिमाह करीब 1.23 करोड़ परिवारों को राशन मिलता है। जबकि 1.31 करोड़ परिवारों के कार्ड बने हैं। उचित मूल्य की दुकानों से गेहूं, चावल मुख्य रूप से मिलते हैं। विशेष जरूरत वाले परिवारों को शक्कर और नमक भी मिलता है।