भारत परमाणु क्षमता बढ़ाने की तैयारी में, विदेशी कंपनियों के लिए आसान हो जाएंगे कानून, ये है प्लान

नई दिल्ली. भारत सरकार विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए परमाणु दायित्व कानूनों में बदलाव की तैयारी कर रही है. सरकार की योजना ऐसे संशोधन करने की है, जिससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं की कानूनी जोखिम की चिंताएं कम हों. खासकर अमेरिकी कंपनियां, जैसे जनरल इलेक्ट्रिक और वेस्टिंगहाउस, असीमित दायित्व के कारण भारत में निवेश से अब तक हिचक रही थीं.

सूत्रों के अनुसार, सरकार 2010 के सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट की उन धाराओं को हटाना चाहती है, जो दुर्घटनाओं की स्थिति में आपूर्तिकर्ताओं पर असीमित मुआवजे का बोझ डालती हैं. नए मसौदे के तहत ऑपरेटर केवल अनुबंधित राशि तक ही आपूर्तिकर्ता से मुआवज़ा मांग सकेगा.

यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस लक्ष्य के तहत है, जिसमें वर्ष 2047 तक देश की परमाणु ऊर्जा क्षमता को 12 गुना बढ़ाकर 100 गीगावाट करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके साथ ही भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है, जिसका उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है.

सरकार को उम्मीद है कि मानसून सत्र (जुलाई 2025) में यह संशोधन संसद से पारित हो जाएगा. विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य को बल देगा और विदेशी तकनीक एवं निवेश को सुगमता से आकर्षित करेगा.

 


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