UNESCO: मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में भगवद गीता-नाट्यशास्त्र शामिल; यह फैसला कितना अहम, क्या हैं ये धरोहरें?

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Fri, 18 Apr 2025 04:44 PM IST
यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर क्या है? भारत की जिन कलाकृतियों को इसमें धरोहर के तौर पर शामिल किया गया है, वह क्या हैं? इसके अलावा भारत से जुड़ी कौन-कौन सी धरोहरों को इस लिस्ट में शामिल किया जा चुका है? आइये जानते हैं...
भरतमुनि का नाट्यशास्त्र और भगवद गीता यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड लिस्ट में शामिल। - फोटो : UNESCO
 
भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अंतरराष्ट्रीय धरोहरों के संरक्षण से जुड़ी संस्था- यूनेस्को (UNESCO) के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया है। इसे लेकर पूरे देश में हर्ष का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर संस्कृति-पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत और दर्जनों हस्तियों ने इस फैसले को लेकर खुशी जताक्या है यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर?
यूनेस्को असल में संयुक्त राष्ट्र संघ का हिस्सा है। यूनेस्को का पूरा मतलब है- यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यूनेस्को शिक्षा, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए वैश्विक शांति में सहयोग के लिए स्थापित एजेंसी है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत इसका एक मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राचीन धरोहरों का संरक्षण भी है।
इस कार्यक्रम के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महत्व के दस्तावेजों के संरक्षण की जरूरत को समझा गया और इसके लिए रजिस्टर तैयार किया गया। इसकी पहचान से जुड़े संग्रहों को चिह्नित भी किया जाता है। इसके जरिए बिना भेदभाव के अहम कलाओं का संरक्षण और उन कलाओं तक लोगों की पहुंच को सुनिश्चित किया जाता है। इसके अलावा इस रजिस्टर के जरिए सरकारों, आम जनता, व्यापारों और वाणिज्यिक संस्थानों को दस्तावेजी धरोहर के संरक्षण की जरूरत और इसके लिए फंड्स की जरूरत के बारे में बताया जाता है।
यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में नाम दर्ज होना उस देश की दस्तावेजी धरोहर की अहमियत और इसे लोकप्रिय बनाने में अहम साबित होता है। इसके जरिए इन दस्तावेजों पर अनुसंधान, इससे जुड़ी शिक्षा, मनोरंजन और संरक्षण पर भी समयानुसार जोर दिया जाता है।
भारत की जो दो नई दस्तावेजी धरोहरें जुड़ीं, वे क्या हैं?

क्या है भरत मुनि का नाट्यशास्त्र?
उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में नाट्यशास्त्र का जो पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है, उसके मुताबिक...
  • नट् धातु से नाट्य (ड्रामा) शब्द बना है, जिसका अर्थ होता है गिरना, नाचना। इस कला का उत्कृष्ट रूप काव्य है और उत्कृष्टतम रूप नाटक है। भरतमुनि का नाट्य शास्त्र भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथों में से है। यह अपने विचारों के साथ साथ व्यापक विषयगत समग्रता से परिपूर्ण है। भारतीय नाट्य कला को समझने में इस ग्रंथ को सबसे ऊपर माना जाता है।
  • यह महान ग्रंथ नाट्यकला के अलावा काव्य, संगीत, नृत्य, शिल्प  और अन्य कलाओं का भी विषयवार कोष है। नाट्यशास्त्र ग्रंथ ने भारत की रंगमचीय कला को शताब्दियों से प्रभावित किया है, क्योंकि इस अकेले ग्रंथ में नाट्य विषय का पूरा विवरण है। मसलन नाट्यशास्त्र, संगीत शास्त्र, अलंकार, रस सभी को बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया गया है। नाट्यकला की यह जानकारी उस समय के किसी भी ग्रंथ में उपलब्ध नहीं मिलती। यह तत्कालीन विश्व के किसी ग्रंथ में भी मौजूद नहीं मिलता। 
  • एक तरह से नाट्य क्षेत्र और इससे जुड़ी कलाओं में यह पहला ग्रंथ है, जो कि नाट्य की बारीकियों को गहराई से समझाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि भरतमुनि द्वारा रचित पूरा नाट्यशास्त्र अब उपलब्ध न होने का दावा किया जाता है। इसके कई और स्वरूप उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी असलता को लेकर विशेषज्ञ सहमत नहीं हैं।
भारत से जुड़े कौन से और दस्तावेज इस लिस्ट में?
यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड लिस्ट में 2023 तक 494 दस्तावेजी धरोहरों को शामिल किया जा चुका था। 2024 में क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग देशों से मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड धरोहरें जोड़ी गईं। इनमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र से भारत की तीन धरोहरें चुनी गई थीं। हालांकि, पिछले साल एमओडब्ल्यू ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लिस्ट में शामिल किए गए दस्तावेजों की जानकारी सामने नहीं रखी। 2025 में इस लिस्ट में अब 74 नाम जोड़े गए हैं। इसी के साथ यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड लिस्ट में कुल 568 एंट्रीज हो चुकी हैं।

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