भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) वित्त वर्ष 2025-26 में ब्याज दरों में बड़ी कटौती कर सकता है। देश के सबसे बड़े बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई इस साल कुल मिलाकर 125 से 150 बेसिस प्वाइंट्स यानी 1.25% से 1.5% तक की कटौती कर सकता है। इसकी वजह है कि देश में महंगाई दर लगातार कम हो रही है और अब यह काबू में आ चुकी है। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक को एक बार में बड़ा कदम उठाना चाहिए। इसके लिए 50 बेसिस प्वाइंट्स (0.50%) की बड़ी कटौती ज्यादा असरदार होगी, बजाय इसके कि धीरे-धीरे 25 बेसिस प्वाइंट्स (0.25%) की छोटी-छोटी कटौतियां की जाएं।
महंगाई में जबरदस्त गिरावट
मार्च 2025 में देश में खुदरा महंगाई दर यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) महज 3.34% रही। यह पिछले 67 महीनों में सबसे कम है। खासकर खाने-पीने की चीजों की कीमतों में भारी गिरावट आई है, जिससे महंगाई थमी है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में महंगाई दर औसतन 4% से भी कम रह सकती है। और साल की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2025 में यह 3% से भी नीचे आ सकती है। यह स्थिति रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरें घटाने का अच्छा मौका देती है। जब महंगाई कम होती है तो कर्ज सस्ता करना आसान हो जाता है, जिससे अर्थव्यवस्था में रफ्तार आती है।
जीडीपी ग्रोथ रहेगी स्थिर
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की ग्रोथ दर वित्त वर्ष 2025-26 में 9% से 9.5% के बीच रह सकती है। जबकि सरकार ने बजट में 10% की ग्रोथ का अनुमान लगाया था। यह संकेत देता है कि देश में आर्थिक विकास की रफ्तार स्थिर है और महंगाई भी काबू में है — यानी गोल्डीलॉक्स स्थिति है, जो दरों में कटौती के लिए सही समय मानी जाती है।
ब्याज दर में कितनी कटौती हो सकती है?
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2026 तक रिजर्व बैंक कुल 125 से 150 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती कर सकता है। इसके मुताबिक, जून और अगस्त 2025 में 75 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की जा सकती है। वहीं साल की दूसरी छमाही यानी अक्तूबर 2025 से मार्च 2026 के बीच 50 बेसिस प्वाइंट्स की और कटौती संभव है। जबकि फरवरी 2025 में रिजर्व बैंक पहले ही 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती कर चुका है। अगर यह सब होता है, तो मार्च 2026 तक रेपो रेट करीब 5% से 5.25% के बीच आ जाएगा।
क्यों जरूरी है बड़ी कटौती?
एसबीआई का कहना है कि 50 बेसिस प्वाइंट्स की एकमुश्त कटौती ज्यादा असरदार होगी। इससे बाजार में भरोसा बढ़ेगा और कर्ज लेना सस्ता होगा। इससे आम आदमी को भी फायदा मिलेगा और उद्योगों को भी। छोटे-छोटे 25 प्वाइंट्स की कटौतियों में असर थोड़ा देर से दिखता है। इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया इस साल 85 से 87 के दायरे में स्थिर रहेगा। इसका मतलब है कि विदेशी मुद्रा बाजार में भी ज्यादा उतार-चढ़ाव की उम्मीद नहीं है।
बैंकिंग सेक्टर में क्या बदलाव होंगे?
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि फरवरी 2025 में जब आरबीआई ने 0.25% की कटौती की थी, तो बैंकों ने भी अपनी ब्याज दरें उसी अनुपात में घटा दी थीं। बैंक जो रेपो रेट से जुड़े लोन देते हैं (जैसे होम लोन, कार लोन), उनकी ब्याज दरें भी घट चुकी हैं। हालांकि एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट), जो थोड़ा धीरे-धीरे घटता है, उसमें कमी आने में थोड़ा समय लगेगा। वहीं आने वाले महीनों में फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दरें भी धीरे-धीरे कम हो सकती हैं।
क्या है आरबीआई की पॉलिसी का लक्ष्य?
रिजर्व बैंक का मकसद है कि महंगाई दर 2% से 6% के बीच रहे। एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि फिलहाल देश की महंगाई इसी दायरे में है और धीरे-धीरे 4% के स्तर के करीब स्थिर हो रही है। ऐसे में रिजर्व बैंक के पास ब्याज दर घटाने का अच्छा मौका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए अगर देश की महंगाई दर और नीचे आती है, तो मार्च 2026 तक 1.25% से 1.5% तक की कुल कटौती संभव है। इससे रेपो रेट भी संतुलित स्तर से थोड़ा नीचे आ सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था को और गति मिल सकती है।