जस्टिस यशवंत वर्मा केस: नकदी बरामदगी मामले में तीन सदस्यी पैनल ने सौंपी रिपोर्ट, अब सीजेआई लेंगे फैसला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Mon, 05 May 2025 03:18 PM IST

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी की बरामदगी से जुड़े मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट 4 मई को सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी। समिति ने 25 मार्च से जांच शुरू की थी और 3 मई को रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित घर पर मिली नकदी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति ने सीजेआई संजीव खन्ना को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश रहते हुए यशवंत वर्मा के घर पर कथित तौर पर भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी। जिसके बाद कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जांच समिति का गठन किया था।


इस माामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यों वाली समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल थीं। इस तीन सदस्यीय समिति ने 3 मई को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया था।
4 मई को पैनल ने सीजेआई को सौंपी रिपोर्ट
4 मई को मुख्य न्यायाधीश को आगे की कार्रवाई के लिए सौंपी गई इस रिपोर्ट में कथित तौर पर न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में 14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे आग लगने के बाद कथित नकदी बरामदगी विवाद का निष्कर्ष शामिल हैं। अब इस रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई का फैसला मुख्य न्यायाधीश लेंगे।
शीर्ष न्यायालय ने एक बयान में कहा,  न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट 4 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश को सौंप दी है।  शीर्ष न्यायालय ने 28 मार्च को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा था कि वे न्यायमूर्ति वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपें।
शीर्ष न्यायालय के कॉलेजियम ने 24 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की सिफारिश की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले मुख्य न्यायाधीश के निर्देश के बाद न्यायाधीश से कार्य वापस ले लिए थे। क्या है मामला?
कथित नकदी की बरामदगी 14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद हुई थी।  22 मार्च को सीजेआई ने आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया  था और घटना में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की जांच रिपोर्ट अपलोड करने का फैसला किया। इसमें कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे। हालांकि, न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोररूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई।   न्यायमूूर्ति यशवंत वर्मा ने 33 साल पहले अधिवक्ता के रूप में शुरू की थी प्रैक्टिस
इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रहे एएन वर्मा के बेटे और दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूूर्ति यशवंत वर्मा ने 33 साल पहले प्रयागराज से ही बतौर अधिवक्ता प्रैक्टिस शुरू की थी। वह हाईकोर्ट के विशेष अधिवक्ता रहे और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता भी बनाए गए। यहीं 2014 में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किए गए। करीब साढ़े तीन साल पहले तबादला दिल्ली हाईकोर्ट में कर दिया गया।
न्यायमूूर्ति यशवंत वर्मा का जन्म भी प्रयागराज में ही हुआ। हालांकि, उनकी पढ़ाई-लिखाई बाहर हुई। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीकॉम ऑनर्स किया। 1992 में मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एलएलबी करके 8 अगस्त 1992 को अधिवक्ता के बतौर बार काउंसिल में पंजीकृत हुए।
जस्टिस वर्मा को संवैधानिक, औद्योगिक विवादों, कॉर्पोरेट टैक्सेशन और पर्यावरणीय मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। 2006 में विशेष अधिवक्ता बनाए जाने के बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुकदमों की पैरवी की।
उन्होंने 2012 से 2013 तक उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता के रूप में भी काम किया। इस बीच, वरिष्ठ अधिवक्ता नामित हो जाने पर मुख्य स्थायी अधिवक्ता का पद त्याग दिया। 13 अक्तूबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश बनाए गए।
एक फरवरी 2016 को यहीं उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। करीब पांच साल तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में काम करने के बाद 11 अक्तूबर 2021 को उनका स्थानांतरण दिल्ली हाईकोर्ट हो गया। घर से करोड़ों रुपये मिलने की सुर्खियों के बीच उनका तबादला फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया है।

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