पचमढ़ी अब अभयारण्य नहीं, कर सकेंगे जमीन की खरीदी-बिक्री

कैबिनेट बैठक में लिया फैसला, नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात किए जाएंगे 850 कार्यकर्ता
भोपाल। सरकार ने पचमढ़ी नगर की नजूल भूमि को अभयारण्य की सीमा से अलग करने का फैसला लिया है। इसके बाद अब पचमढ़ी में जमीन की खरीद-बिक्री की जा सकेगी। वहीं नक्सल प्रभावित जिलों में सरकार ने 850 कार्यकर्ता तैनात करने का निर्णय लिया है।
मंत्रालय में आज हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में पचमढ़ी नगर की नजूल भूमि को अभयारण्य की सीमा से पृथक किये जाने का फैसला लिया गया। पचमढ़ी नगर का नजूल क्षेत्र जिसका रकबा 395.931 हेक्टेयर है, जो साडा के प्रशासनिक नियंत्रण में है, को पचमढी अभयारण्य की सीमा से बाहर करने का निर्णय लिया गया है। इसके पूर्व अधिसूचना 22 दिसम्बर 2017 द्वारा पचमढ़ी अभयारण्य की परिधि पर स्थित 11 ग्रामों को अभयारण्य से बाहर किया और कुछ ग्रामों को इन्क्लोजर में रखा गया है। अब इस भूमि का उपयोग पर्यटन, इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यवसायिक विकास के लिए किया जाएगा। पचमढ़ी को राष्ट्रीय लेवल पर विकसित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के बालाघाट, मंडला और डिंडोरी जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में सरकार 850 कार्यकर्ता तैनात करने का फैसला भी लिया है, जो क्षेत्र में नक्सल मूवमेंट की निगरानी करेंगे। हर कार्यकर्ता को 25 हजार रुपए का मासिक मानदेय मिलेगा। यह एक साल के लिए अस्थाई पद होंगे, लेकिन सरकार इसे नक्सलवाद समाप्त करने की दिशा में बड़ा कदम मान रही है।
नए जिलों में खुलेंगे खाद्य एवं नापतौल विभाग
मंत्री विजयवर्गीय ने बताया कि कैबिनेट ने मऊगंज, मैहर और पांढुर्णा में खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के कार्यालय खोलने की मंजूरी दी है। साथ ही निवाड़ी, मैहर और पांढुर्णा में नापतौल विभाग के भी कार्यालय स्थापित किए जाएंगे, जिससे स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
दिव्यांग खिलाड़ियों को मिलेगा सम्मान
पेरिस में आयोजित पैरा ओलंपिक में पदक जीतने वाले रुबीना फ्रांसिस और कपिल परमार को 1-1 करोड़ रुपए प्रोत्साहन राशि देने की मंजूरी कैबिनेट ने दी। अब तक उन्हें 50 लाख रुपए दिए जाते थे, लेकिन सरकार ने ओलंपियन के समान सम्मान देने का निर्णय लिया है।
पेंशन कार्यालयों को किया जाएगा केंद्रीकृत
नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि सरकार ने फैसला लिया है कि सभी जिलों के पेंशन कार्यालयों को कम कर एक केंद्रीय प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। अब पेंशनरों को ऑनलाइन सेवाओं के माध्यम से सुविधा दी जाएगी और अतिरिक्त स्टाफ को अन्य विभागों में समायोजित किया जाएगा।

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