UNSC में हुई पाकिस्तान की फजीहत, लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका पर उठे सवाल, भारत पर लगाए आरोप उलटे पड़े

नई दिल्ली/न्यूयॉर्क. भारत पर हमला करने की नीयत से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की ओर रुख करने वाला पाकिस्तान एक बार फिर कूटनीतिक स्तर पर बेनकाब हो गया. हाल ही में हृस्ष्ट की क्लोज़-डोर बैठक में पाकिस्तान को न केवल लताड़ सुननी पड़ी, बल्कि उसके सामने कड़े सवाल भी रखे गए—खासकर लश्कर-ए-तैयबा की पहलगाम आतंकी हमले में कथित भूमिका को लेकर.

बैठक में पाकिस्तान यह दर्शाना चाहता था कि भारत, 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले की आड़ में सैन्य कार्रवाई कर सकता है. लेकिन परिषद के सदस्य देशों ने पाकिस्तान के इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया और उल्टा उसी से जवाबदेही मांग ली.

बैठक के दौरान कई देशों ने पाकिस्तान से पूछा कि क्या वह इस बात की पुष्टि करता है कि इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है? और यदि हां, तो क्या उसने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई की?  सदस्यों ने यह भी पूछा कि आखिर हमले के दौरान पर्यटकों से धर्म पूछकर उन्हें निशाना क्यों बनाया गया?

पाकिस्तान द्वारा हाल ही में किए गए बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण को भी परिषद के सदस्यों ने उकसावे वाली करार दिया. इस पर भी पाकिस्तान को आलोचना झेलनी पड़ी.

गौरतलब है कि भारत फिलहाल सुरक्षा परिषद का सदस्य नहीं है, जबकि पाकिस्तान अस्थायी सदस्य के रूप में शामिल है. बावजूद इसके, भारत की बढ़ती कूटनीतिक पकड़ का नज़ारा इस बैठक में देखने को मिला. भारत की अनुपस्थिति के बावजूद, पाकिस्तान का एजेंडा नहीं चल सका और वह अकेला पड़ गया.

बैठक का समापन पाकिस्तान के लिए और भी शर्मनाक रहा. परिषद ने दो टूक कहा कि भारत और पाकिस्तान को आपसी बातचीत से समाधान तलाशना चाहिए. इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की यह विफलता उसके लिए एक बड़ा कूटनीतिक झटका मानी जा रही है.


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