ताप्ती बेसिन मेगा ग्राउंड वाटर रिचार्ज परियोजना को लेकर उठाए सवाल
भोपाल। राजधानी भोपाल में शनिवार को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के बीच ‘ताप्ती बेसिन मेगा ग्राउंड वाटर रीचार्ज परियोजना’ को लेकर ऐतिहासिक एमओयू साइन हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस परियोजना को “विश्व की सबसे बड़ी भूजल पुनर्भरण परियोजना” करार देते हुए इसे निमाड़ अंचल की जीवनदायिनी योजना बताया। लेकिन इस परियोजना पर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया पर सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए लिखा “लोकतंत्र में जनता की भागीदारी के बिना हर विकास अधूरा है। बैतूल, खंडवा और बुरहानपुर के ग्रामीणों व आदिवासियों की आपत्तियों को दरकिनार कर ‘ताप्ती मेगा रीचार्ज परियोजना’ पर एमओयू साइन किया जा रहा है। सिंघार का कहना है कि जिन ज़िलों को इस योजना से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया जा रहा है, वहां के आदिवासी और ग्रामीण समुदायों से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया। सिंघार ने कहा कि अब तक न जनसुनवाई हुई और न ही ग्राम सभाओं की सहमति ली गई। पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई है। वर्षों से लोग अपनी जमीन, जंगल, आजीविका और संस्कृति को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सिंघार ने उठाई मांग
परियोजना की पूर्ण जानकारी सार्वजनिक की जाए, सभी प्रभावित क्षेत्रों में जनसुनवाई करवाई जाए, ग्राम सभा की अनिवार्य सहमति के बिना किसी निर्माण कार्य की शुरुआत न हो, एक स्वतंत्र पर्यावरणीय और सामाजिक मूल्यांकन समिति गठित की जाए।