दुबई एयर शो में हादसे का शिकार हुआ तेजस: क्या हैं इस लड़ाकू विमान की खासियतें, इसके लिए भविष्य की क्या योजना?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Fri, 21 Nov 2025 05:38 PM IST

तेजस लड़ाकू विमान की खासियतें क्या हैं? भारतीय वायुसेना के लिहाज से यह फाइटर जेट कितना अहम है? इसके अलावा इसे लेकर भारत की भविष्य की योजनाएं क्या-क्या हैं? आइये जानते हैं...

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तेजस फाइटर जेट की खासियत। - फोटो : अमर उजाला
 
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दुबई में एयरशो के दौरान भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान- तेजस अचानक क्रैश हो गया। अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक, यह हादसा तब हुआ, जब एयरशो में फाइटर जेट्स की प्रदर्शनी चल रही थी। भारतीय वायुसेना ने इस घटना को लेकर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के गठन का एलान भी कर दिया है। 
 
इस बीच यह जानना अहम है कि आखिर तेजस लड़ाकू विमान की खासियतें क्या हैं? भारतीय वायुसेना के लिहाज से यह फाइटर जेट कितना अहम है? इसके अलावा इसे लेकर भारत की भविष्य की योजनाएं क्या-क्या हैं? आइये जानते हैं...
क्या है तेजस लड़ाकू विमान की खासियतें?
बताया गया है कि एयरशो में क्रैश हुआ विमान तेजस मार्क 1ए है, जो कि मौजूदा समय में तेजस का सबसे आधुनिक वर्जन है। इसकी निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) फिलहाल तेजस के मार्क-2 (एमके-2) वर्जन पर काम कर रही है। 
तेजस का मार्क-1ए लड़ाकू विमान एक लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) है। यानी यह हल्का लड़ाकू विमान है। यह चौथी पीढ़ी का हल्का और ताकतवर लड़ाकू विमान है। यह 2200 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ान भर सकता है और करीब नौ टन वजनी हथियार लेकर जा सकता है। साथ ही यह विमान एकसाथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकता है। यह बियॉन्ड विज़ुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल और इलेक्ट्रानिक वॉरफेयर सूट से लैस है। 
पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान
तेजस भारत में बना पहला लड़ाकू विमान है। इसमें लगने वाले इंजन फिलहाल विदेश से मंगाए जा रहे हैं। खासकर अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक्स (जीई) से 
छोटा और हल्का
तेजस को एल्युमिनियम और लिथियम एलॉय के साथ टाइटेनियम और कार्बन फाइबर कॉम्पोजिट मैटेरियल से बनाया गया है। इनके चलते लड़ाकू विमान का वजन काफी हल्का है। सुपरसॉनिक यानी हवा की गति से तेज उड़ने वाले लड़ाकू विमानों में यह सबसे छोटे और हल्के में गिना जाता है।
हथियार
तेजस में कई बेहतरीन हथियारों को लगाना तय हुआ है। इनमें आई-डर्बी ईआर और अस्त्र बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगाई गई हैं। इसके अलावा इनमें छोटी दूर पर मार करने वाली मिसाइलें जैसे आर-73, पायथन-5 और ASRAAM भी लगाई गई हैं। तेजस में एक 23 मिमी की ग्रायाजेव-शिपुनोव (जीएसएच-23) ट्विन बैरल तोप भी लगाई गई है। 
भारतीय वायुसेना को लंबे समय से इस वैरिएंट का इंतजार
भारत की तरफ से बीते कई वर्षों से तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) के निर्माण की तैयारी चल रही है। इस प्रोजेक्ट को 1983 में मंजूरी मिली। 1994 में बनने की डेडलाइन रखी गई। कई प्रतिबंधों और आपूर्तियों में दिक्कत के चलते यह प्रोजेक्ट लगातार टलता जा रहा है। मौजूदा समय में भारत के पास तेजस मार्क-1 की सिर्फ दो स्क्वॉड्रन सेवा में हैं। इनमें भी कुल 38 जेट्स हैं। हालांकि, तेजस मार्क-1 में कुछ कमियां हैं, जिन्हें तेजस के अगले वैरियंट मार्क-1ए के जरिए पूरा किया जाना है। यही मार्क-1ए वर्जन दुबई एयर शो में था। 
केंद्र सरकार ने फरवरी 2021 में तेजस एमके-1ए फाइटर जेट को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को सौंप भी दिया। तब भारत को पहला तेजस एमके-1ए मार्च 2024 तक मिलना तय हुआ था। लेकिन अब 2025 के मध्य तक भी भारत को कोई तेजस एमके-1ए नहीं मिला है। बताया जाता है कि इसमें अभी भी सुधार की कुछ गुंजाइशें हैं।
भविष्य की योजना
रक्षा मंत्रालय ने एचएएल के साथ हाल ही में 97 अतिरिक्त लड़ाकू विमानों के 62,370 करोड़ रुपये के सौदे पर भी हस्ताक्षर किए हैं। जिसके तहत वायुसेना को 68 सिंगल सीटर और 29 ट्विन सीटर विमान मिलेंगे। इस बैच के विमानों की आपूर्ति 2027-28 से शुरू होकर छह वर्षों में पूरी की जाएगी। बढ़ते सामरिक तनाव के बीच तेजस परियोजना भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में अहम भूमिका निभाने जा रही है।

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