कांग्रेस की मुख्यमंत्री से मांग, आंदोलन की दी चेतावनी
भोपाल। प्रदेश के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने दलित, आदिवासी वर्ग के कर्मचारियों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों और अधिकारियों के संवैधानिक अधिकारों को नज़रअंदाज़ कर रही है। उन्होंने कहा कि गोरकेला समिति की रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारियों को पदोन्नति दी जानी चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने यह बात आज कांग्रेस कार्यालय में मीडिया से चर्चा करते हुए कही। अहिरवार ने कहा कि भाजपा की तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा वरिष्ठ विधिवेत्ताओं के परामर्श से गोरकेला ड्राफ्ट (पदोन्नति अधिनियम 2017) बनाया गया, ताकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अधीन लंबे समय से अवरुद्ध पदोन्नतियां राज्य के सभी वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों को दी जा सके, ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय को सरकार द्वारा विगत 8 वर्षों से क्यों दबाकर रखा गया है? आखिरकार वे कौन लोग हैं, जो लोकहित के मामलों पर लगाम कसकर बैठे हैं, सामान्य प्रशासन विभाग के ऐसे कतिपय अधिकारियों की जांच कर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?
अहिरवार ने कहा कि गोरकेला समिति द्वारा तैयार किया गया पदोन्नति अधिनियम-2017 एक मजबूत और वैधानिक प्रारूप है, जो सुप्रीम कोर्ट के नागरज मामले के निर्णयों के अनुसार तैयार किया गया है। यह अधिनियम न केवल प्रशासनिक दक्षता, सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व के सिद्धांतों पर आधारित है, बल्कि यह वर्षों से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे लाखों अजा, अजजा वर्ग के अधिकारियों को स्थायी राहत देने वाला कालजाई दस्तावेज है। बावजूद इसके इस ड्राफ्ट को जीएडी द्वारा कभी कैबिनेट में नहीं लाया गया? आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि इसे क्यों रोका गया, किसके इशारे पर रोका गया, और किस लाभ के लिए रोका गया? अहिरवार ने कहा कि लेकिन आज तक उसे मान्य नहीं किया गया और कोई नया ड्राफ्ट लाने की तैयारी कर रही है। इससे अनुसूचित जनजाति के लोगों का हक मारा जाएगा। इसी को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को पदोन्नति गोरकेला समिति की रिपोर्ट के आधार पर दी जानी चाहिए।