प्रदेश के दस सांस्कृतिक नगर विकसित होंगे ग्रीन सिटी रूप में

पचहत्तर फीसदी नवकरणीय ऊर्जा के उपयोग का रखा लक्ष्य
भोपाल। सरकार अगले दो वर्षों में 10 ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगरों को ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत सांची और खजुराहो से हुई है, जहां पायलट प्रोजेक्ट्स के अंतर्गत 75 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार द्वारा महेश्वर, चंदेरी, मांडू, ओरछा, अमरकंटक, भीमबेटका, ओंकारेश्वर और चित्रकूट जैसे धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटक महत्व के शहरों को ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नवीकरणीय ऊर्जा नीति 2025 के दिशा-निर्देशों के तहत इन शहरों में स्वच्छ ऊर्जा का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। चयनित नगरों में घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं की कुल बिजली खपत का 75 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा किया जाएगा। धार्मिक और सांस्कृतिक भवनों में 100 प्रतिशत ग्रीन एनर्जी का उपयोग अनिवार्य होगा। योजना के अनुसार, जिन उपभोक्ताओं का बिजली लोड 6 किलोवाट से अधिक है, उन्हें सोलर एनर्जी जैसे नवीकरणीय स्रोतों पर शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहन और आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। धार्मिक स्थलों, स्कूलों, राशन दुकानों, आंगनबाड़ियों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सुबह 6 से रात 8 बजे तक नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। सभी स्ट्रीट लाइट्स सोलर बेस्ड होंगी, जिससे ग्रीन स्ट्रीट्स का निर्माण किया जाएगा।
इस तरह होगा बदलाव
ग्रीन सबस्टेशन बनाए जाएंगे जो विशेष रूप से स्वच्छ ऊर्जा को सपोर्ट करेंगे, हॉकर्स और वेंडर्स को सोलर लैंटर्न दिए जाएंगे, जिससे सस्टेनेबल आजीविका संभव होगी,  रहवासी समितियों और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स के कॉमन एरिया में सौर ऊर्जा का उपयोग अनिवार्य होगा, 6 किलोवाट से अधिक लोड वाले उपभोक्ताओं को अपनी छतों पर कम से कम 50 प्रतिशत लोड क्षमता का सोलर रूफटॉप लगाना अनिवार्य होगा, इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग स्टेशनों को बढ़ावा दिया जाएगा, और इन स्टेशनों को 50 प्रतिशत ग्रीन पावर से संचालित किया जाएगा, कम्युनिटी-बेस्ड रिन्यूएबल फार्मिंग और बायोगैस प्लांट्स को भी नीति के अंतर्गत प्रोत्साहन और सब्सिडी मिलेगी।

Leave Comments

Top