Khabaron Ke Khiladi: जाति जनगणना कराने से किसे होगा कितना फायदा? विश्लेषकों ने बताई इसके पीछे की असली सियासत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Sat, 03 May 2025 09:00 PM IST                         केंद्र सरकार ने इस हफ्ते एलान किया था कि वह अगली जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी कराएगी। इसे लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच श्रेय लेने की होड़ मची है। खबरों के खिलाड़ी में इस हफ्ते जातीय जनगणना और इसके पीछे की राजनीति पर चर्चा हुई।
केंद्र सरकार ने इस हफ्ते जातिगत जनगणना कराने का एलान कर दिया। सरकार के इस फैसले ने सभी को चौंका दिया है। हालांकि, सरकारी सूत्र का कहना है कि यह फैसला अचानक नहीं बल्कि सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। सरकार उचित समय का इंतजार कर रही थी, जिससे यह संकेत न जाए कि वह विपक्ष के दबाव में आ गई। इस हफ्ते ‘खबरों के खिलाड़ी’ में इस पर चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार, राजकिशोर, अनुराग वर्मा और रीमा शर्मा मौजूद रहे। 
अवधेश कुमार: यह बदलाव एक बने-बनाए वातावरण के कारण लगता है। 2011 में जो सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण हुआ था, उसे यूपीए सरकार जारी नहीं कर सकी। नरेंद्र मोदी सरकार ने 2017 में तय किया कि इस रिपोर्ट को हम जारी करेंगे। लेकिन जब उसे जारी करने के लिए समिति बनी थी, उसे इतनी अशुद्धियां मिलीं कि यह तय किया गया कि इसे जारी करना संभव नहीं है। उसी वक्त राजनाथ सिंह ने कहा था कि हम जब भी जनगणना होगी, तब हम जातिगत जनगणना करा लेंगे। जातीय जनगणना कराना है या नहीं कराना है इसे लेकर किसी भी भाजपा नेता ने नहीं कहा कि हम इसे नहीं कराने जा रहे हैं। आप ये तो कह सकते हैं कि पहलगाम के बीच में ऐसा क्यों हो गया? ये सवाल जरूर उठता है। 
रीमा शर्मा: पिछले एक साल से विपक्ष इसे लेकर मुखर रहा है। राहुल गांधी तो अपनी पार्टी में भी इसे लेकर लड़े हैं। उनके वक्तव्य से उनकी ही पार्टी के कुछ नेता नाखुश थे। जहां तक श्रेय लेने की बात है तो तेजस्वी यादव हों, अखिलेश यादव हों या राहुल गांधी तीनों ने अलग-अलग समय पर इसकी मांग की है। भाजपा ने इसका कब और कहां-कहां विरोध किया है ये सभी जानते हैं। जातिगत जनगणना विपक्ष की मुखर मांग थी, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है। राजनीतिक दृष्टि से देखें तो सरकार ने एक अच्छा कदम उठाया है, लेकिन इसकी टाइमिंग सही नहीं है। मुझे लगता है कि पहलगाम के मामले को कवरअप करने के लिए इस मुद्दे को लेकर सरकार आई है।
राजकिशोर: पहलगाम में आतंकवादी हमसे धर्म पूछ रहे थे, सरकार हमसे पूछेगी कि आपकी जाति क्या है। मैं जातिगत गणना का व्यक्तिगत रूप से आलोचक रहा हूं। जहां तक टाइमिंग की बात है तो उस पर तो कभी भी सवाल उठाए जा सकते हैं। 140 करोड़ का देश है। ऐसे में तो हर फैसले की टाइमिंग पर सवाल उठाए जा सकते हैं। 2011 में 46 लाख से ज्यादा जातियां और गोत्र आ गए थे। अब सरकार इसे कैसे करेगी यह देखना होगा।
अनुराग वर्मा: इस मुद्दे पर चाहे प्रवक्ता हों या पत्रकार हों सभी कन्फ्यूज दिखाई दे रहे हैं। अभी जो जिस जाति से आते हैं वो उसी के हिसाब से इसे देख रहा है। मैं व्यक्तिगत रूप से जातिगत जनगणना का पक्षधऱ नहीं रहा हूं। जातिगत जनगणना का कोई भी विजनरी लीडर समर्थन नहीं कर सकता है। जातिगत जनगणना का नतीजा क्या निकलेगा इस देश में इसका पता आपको लग जाएगा। अगर आप मायावती, अखिलेश यादव जैसे नेताओं का हश्र देख लें। एक बात देखी जा सकती है कि अगर जैसा हम आज विजुअलाइज कर रहे हैं, उस तरह से अगर हुआ तो भाजपा को फायदा होता नहीं दिख रहा है। मैं ऐसा मानता हूं कि जातिगत जनगणना की घोषणा करने से बिहार चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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