केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ ने अपने एक जवान मुनीर अहमद को पाकिस्तानी महिला से अपनी शादी की बात छिपाने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया है, क्योंकि जवान का आचरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक पाई गई। जवान मुनीर अहमद की आखिरी तैनाती देश के प्रमुख आंतरिक सुरक्षा बल सीआरपीएफ की 41वीं बटालियन में थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जवान मुनीर अहमद को उन नियमों के तहत सेवा से बर्खास्त किया गया है, जिसके तहत जांच की जरूरत नहीं होती। 
जवान मुनीर अहमद पर क्या है आरोप?
'मुनीर अहमद को पाकिस्तानी नागरिक से अपनी शादी को छिपाने और जानबूझकर उसके वीजा की वैधता से परे उसे शरण देने के कारण तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। सीआरपीएफ के प्रवक्ता उप महानिरीक्षक (डीआईजी) एम दिनाकरन ने कहा, 'उनके कार्यों को सेवा आचरण का उल्लंघन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक पाया गया।' ऐसे हुए सीआरपीएफ जवान के शादी का खुलासा
बता दें कि, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठाए गए कूटनीतिक उपायों के तहत भारत की तरफ से पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के लिए कहने के बाद सीआरपीएफ जवान मुनीर अहमद की मिनल खान के साथ शादी का पता चला। दोनों ने पिछले साल 24 मई को एक वीडियो कॉल के जरिए शादी की थी। सीआरपीएफ की जांच में पाया गया कि जवान ने संबंधित अधिकारियों को अपनी शादी और उसके भारत में रहने की सूचना नहीं दी थी। बर्खास्तगी के बाद जवान ने दी सफाई
पाकिस्तानी महिला से अपनी शादी को छिपाने के आरोप में सेवा से बर्खास्त किए जाने के कुछ घंटों बाद सीआरपीएफ जवान मुनीर अहमद ने कहा कि पिछले साल CRPF के मुख्यालय से अनुमति मिलने के करीब एक महीने बाद उन्होंने अपनी शादी की। जम्मू के घरोटा इलाके के निवासी अहमद, जो अप्रैल 2017 में सीआरपीएफ में शामिल हुए थे, ने कहा कि वह अपनी बर्खास्तगी को कानून की अदालत में चुनौती देंगे। मुझे न्याय मिलने का पूरा भरोसा है। मुनीर अहमद ने बताया, 'मुझे शुरू में मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से अपनी बर्खास्तगी के बारे में पता चला। मुझे कुछ ही समय बाद सीआरपीएफ से एक पत्र मिला जिसमें मुझे बर्खास्तगी के बारे में बताया गया, जो मेरे और मेरे परिवार के लिए एक झटका था क्योंकि मैंने मुख्यालय से एक पाकिस्तानी महिला से शादी करने की अनुमति मांगी थी और उसे अनुमति मिल गई थी।'
पहलगाम में आतंकी हमला, 26 लोगों की मौत
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल था। ये सभी लोग पहलगाम के बायसरन घाटी में मौजूद घास के बड़े मैदान में छुट्टियों का लुत्फ उठा रहे थे।